'रेवड़ी' पर रारः मुफ्त शिक्षा का मुद्दा उठा केजरीवाल ने किया प्रहार, BJP के मालवीय ने यूं किया पलटवार

Gujarat Assembly Elections 2022: दिल्ली सीएम ने टि्वटर पर एक वीडियो शेयर की थी, जिसमें बताया गया था कि डेनमार्क में मुफ्त शिक्षा पाने वाले छात्र इटर्निटी स्टूडेंट्स कहलाते हैं, जो यूनिवर्सिटी में छह साल या उससे अधिक समय तक शिक्षा हासिल करते हैं। यही नहीं, अन्य यूरोपीय देश जहां पर छात्र-छात्राओं से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है, उनमें स्कॉटलैंड, नॉरवे और फिनलैंड का नाम है।

arvind kejriwal

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात के विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली (Delhi) के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त शिक्षा का मुद्दा उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश की। उन्होंने दो टूक कहा कि अमीर मुल्कों में एजुकेशन फ्री है। ऐसे में दुख होता है, जब इसे ये नेता फ्री की रेवड़ी कह देते हैं। वैसे, केजरीवाल के इस हम निशाने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भी शांत नहीं बैठी। पार्टी के आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा भारत में एक मौलिक अधिकार है, जबकि सभी सरकारें इसे सुनिश्चित करती हैं। आप (केजरीवाल की पार्टी) कोई अहसान नहीं कर रही है।

उन्होंने मंगलवार (25 अक्टूबर, 2022) को ट्वीट किया और कहा, "यह वीडियो देखिए…अमीर देशों में शिक्षा फ्री है। मुझे बहुत दुःख होता है कि हमारे देश में फ्री शिक्षा को यह नेता फ्री की रेवड़ी कहते हैं। यह देश अमीर इसलिए बने क्योंकि यह फ्री शिक्षा देते हैं। अगर हर भारतीय को अमीर बनाना है तो भारत के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा फ्री देनी ही होगी।"

दरअसल, केजरीवाल ने जो वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम से जुड़ी एक वीडियो रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें बताया गया था कि डेनमार्क में सरकार स्टूडेंट्स को हर महीने एक हजार डॉलर यूनिवर्सिटी जाने के लिए देती है। दानिश छात्रों को ट्यूशन फीस नहीं चुकानी पड़ती है। वे इंटरनेशनल कलीग्स के मुकाबले अधिक लंबे समय तक उच्च शिक्षा में रह पाते हैं।

इस क्लिप में आगे बताया गया कि ये छात्र इटर्निटी स्टूडेंट्स कहलाते हैं, जो यूनिवर्सिटी में छह साल या उससे अधिक समय तक शिक्षा हासिल करते हैं। यही नहीं, अन्य यूरोपीय देश जहां पर छात्र-छात्राओं से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है, उनमें स्कॉटलैंड, नॉरवे और फिनलैंड का नाम है।

उच्च शिक्षा बेहद महंगी हो सकती है। इंग्लैंड में स्टूडेंट्स ग्रैजुएट होने के साथ 70 हजार डॉलर के कर्ज में चले जाते हैं, जबकि कई मुल्कों में हजारों डॉलर में एक साल की सिर्फ ट्यूशन फीस रहती है। चूंकि, अधिक लोग यूनिवर्सिटी जाते हैं...ऐसे में यह डिबेट उठती है कि उसका खर्च कौन उठाए...छात्र या फिर कर-दाता? क्या आपको लगता है कि स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी जाने के लिए पैसे देने चाहिए?

हालांकि, बीजेपी के आईटी सेल प्रभारी अमित मालवीय ने इस पर कहा- छह से 14 साल की आयु के बीच के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा भारत में एक मौलिक अधिकार है और यह संविधान के अनुच्छेद 21 ए में निहित है। यह एक सार्वजनिक भलाई है। सभी सरकारें इसे सुनिश्चित करती हैं। आम आदमी पार्टी कोई अहसान नहीं कर रही है। "रेवड़ी" वोट के लिए लोगों के कुएं की खपत का वित्तपोषण कर रहा है...।

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अभिषेक गुप्ता author

छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें

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