सभी जिलों में ‘सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार’ पहल शुरू करेगी गुजरात सरकार
सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार के पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत जून 2023 से जनवरी 2024 के बीच हुई थी। तब गुजरात के बनासकांठा और पंचमहल जिलों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया था।
गुजरात के मुख्यमंत्रा भूपेंद्र पटेल
- बनासकांठा और पंचमहल में पायलट प्रोजेक्ट सफल
- जिला सहकारी बैंकों में 4 लाख से अधिक नए खातों खुले
- 1700 से अधिक माइक्रो ATMs भी किए गए स्थापित
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार ने बनासकांठा और पंचमहल में पायलट प्रोजेक्ट ‘सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार’ की सफलता के बाद अब इसे राज्य के शेष सभी जिलों में लागू करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार की इस नई पहल के सफल प्रयोग से इन दोनों जिलों के जिला सहकारी बैंकों में सहकारी संस्थाओं और उनके सक्रिय सदस्यों द्वारा 4 लाख से अधिक नए खाते खोले गए, जिसके परिणामस्वरूप सहकारी बैंकों में जमा राशि में 966 करोड़ रुपये से अधिक की वृद्धि हो गई है।
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सहकारी संस्थाओं को मिला एक नई ऊर्जा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विजन है कि देश के सभी राज्यों के सहकार क्षेत्रों में आपस में समन्वय बनाकर देश में सहकार क्षेत्र में काम कर रही सहकारी संस्थाओं को एक नई ऊर्जा व नई पहचान दी जाए। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में सहकार क्षेत्र में नित नए प्रयोग और पहल किए जा रहे हैं। इसी दिशा में गुजरात सरकार ने भी दो जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ‘सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार’ पहल को लागू किया, जो बहुत ही सफल रहा है। गुजरात के सहकारिता मंत्री जगदीश विश्वकर्मा ने सहकार क्षेत्र की उपलब्धियों के महत्व के बारे में बोलते हुए कहा- “मजबूत सहकारी क्षेत्र “विकसित गुजरात” की नींव में मजबूत स्तंभ साबित हो सकता है, जो हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन “विकसित भारत@2047” को साकार करने में सहायक सिद्ध होगा। ”
क्या है ‘सहकारी संस्थाओं के बीच सहकार’ पहल
इस पहल का उद्देश्य जिला और राज्य सहकारी बैंकों के तत्वावधान में उनके बैंक खातों और जमा राशियों को केंद्रीकृत करके गुजरात की हजारों सहकारी संस्थाओं के बीच सहयोग बढ़ाना है। इसमें सहकारी संस्थाओं और उनके सदस्यों के विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों में संचालित मौजूदा बैंक खातों को समेकित कर उन्हें एक केंद्रीकृत जिला सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक के अंतर्गत लाया गया है। सहकारी संस्थाओं की सामूहिक पूंजी को एक केंद्रीकृत बैंक के अंतर्गत समेकित करने पर कई महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिले हैं। उदाहरण के तौर पर, केंद्रीयकृत सहाकरी बैंक की जमा राशि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, सहकारी समितियों के बीच फाइनांशियल लिक्विडीटी बढ़ी है, जिससे लोन संबंधी आवश्यकताओं व मांग को अब आसानी से पूरा किया जा सकेगा। साथ ही, इस पहल से अब यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सहकारी संस्थाओं की सामूहिक पूंजी अन्य सहकारी संस्थाओं के भी उपयोग में लाई जा सके।
बनासकांठा और पंचमहल में सफल रहा पायलट प्रोजेक्ट
जून 2023 से जनवरी 2024 के बीच, गुजरात ने बनासकांठा और पंचमहल जिलों में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह द्वारा परिकल्पित इस पहल को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया। इस दौरान, दुग्ध संघों से संबद्ध 1048 दुग्ध समितियों के मौजूदा बैंक खातों को जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों में समेकित किया गया और अधिशेष निधियों को उनके नए बैंक खातों में पूर्ण रूप से स्थानांतरित किया गया। दोनों जिलों के सहकारी बैंकों में 4.7 लाख से अधिक नए बचत खाते खोले गए, जिससे इन बैंकों की मौजूदा जमा राशियों में ₹ 900 करोड़ से अधिक की भारी वृद्धि हुई है।
1600 से अधिक कर्मचारियों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
इस पहल के अंतर्गत वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में सदस्यों के सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, सहकारी समितियों से जुड़े 1631 से अधिक कर्मचारियों को माइक्रो-ATM के संचालन, नकद निकासी और जमा करने सहित डिजिटल लेनदेन पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।उल्लेखनीय है कि ग्राम स्तर पर बैंकिंग सुविधाओं और फाइनांशियल लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए, इन जिलों में कुल 1736 समितियों को माइक्रो-ATM से सुसज्जित किया गया और उन्हें “बैंक मित्र” के रूप से संबद्ध किया गया है। इसके अलावा, इस पहल के अंतर्गत इन सहकारी संस्थाओं को पर्याप्त आय अर्जित करने के लिए कमीशन दरें भी निर्धारित की गई हैं, जिससे माइक्रो- ATM के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहन मिलेगा। इतना ही नहीं, सहकारी संस्थाओं और सक्रिय सदस्यों को कुल 3.32 लाख RuPay डेबिट कार्ड भी जारी किए गए है।
पूरे गुजरात में लागू किया जाएगा मॉडल
बनासकांठा और पंचमहल में इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद राज्य सरकार ने इसे सभी जिलों के सहकारी संस्थाओं के बीच लागू करने का निर्णय किया है। इस पहल के कार्यान्वयन के बाद जिला सहकारी बैंक गांव स्तर पर अपनी सेवाओं का विस्तार करने में सक्षम होंगे और यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि गुजरात की सहकारी संस्थाओं की पूंजी उन संस्थाओं से जुड़े सदस्यों व अन्य छोटी सहकारी संस्थाओं की वित्तीय गतिविधियों को पूरा करने में भी उपयोग में लाई जा सके।
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