ऐसा पहली बार! मामा का जुड़वां भांजियों को ग्रांड गिफ्ट, चांद पर खरीद दे दी एक एकड़ जमीन

Surat Latest News in Hindi: ऐसा माना जाता है कि मामा को भांजे प्यारे होते हैं। साथ ही मामा नाम में एक नहीं बल्कि दो-दो "मा" आते हैं। ऐसे में सूरत शहर के इस मामा ने यह कदम उठा न सिर्फ जुड़वां भांजों को खास बनाया है, बल्कि वह खुद भी सुर्खियों में आ गए।

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बच्चे को खिलाते हुए उनकी फैमिली के लोग।

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
Surat Latest News in Hindi: चांद को यूं तो लोग चंदा मामा के नाम से बुलाते हैं। पर गुजरात के सूरत में एक मामा ने अपने भांजियों के लिए चंद्रमा पर एक एकड़ जमीन खरीद ली। सबसे खास बात है कि अब तक (खबर लिखे जाने तक) कोई भी जुड़वां बच्चियां इतनी कम उम्र में चांद पर जमीन के मालिक नहीं बनीं। मगर सूरत के सरथाणा में रहने वाले ब्रिजेशभाई वेकारिया ने दो जुड़वा भांजियों के लिए चांद पर एक एकड़ जमीन खरीदी और ऐसा कर उन्होंने यह पल न सिर्फ अपने लिए बल्कि समूची फैमिली के लिए यादगार बना दिया।
वेकारिया डिजिटल मार्केटिंग से जुड़े हैं। वह सेंसिडा ट्रस्ट के ट्रस्टी भी हैं। उनकी बहन दया के घर में दो-दो लक्ष्मी अवतरित हुईं, जिससे परिवार की खुशियां दोगुनी हुई हैं। इस खुशी को बढ़ाने के लिए मामा ने अपनी बहन और अपने दोनों भांजियों को सरप्राइज दिया। बहन से दोनों बच्चियों के दस्तावेज लेकर उन्होंने चांद पर जमीन खरीदने के लिए अमेरिका की लूनर लैंडर्स नामक कंपनी में आवेदन किया, जिसे आज मंजूरी मिल गई।
उन्होंने इस बाबत आपके प्रिय हिंदी चैनल टाइम्स नाऊ नवभारत को बताया, ''लोग चांद को मामा कहते हैं। जब मैं खुद मामा बन गया तो मैंने अपने दोनों भांजियों को कुछ खास देने के बारे में सोचा। मुझे यह जानकारी मिली कि चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है, ताकि वे इतनी कम उम्र में चांद पर जमीन की मालकिन बन सकें। इसके लिए प्रक्रिया शुरू की गई है और अब एक महीने में पंजीकरण हो गया है।"
दरअसल, ऐसी कई वेबसाइट्स हैं, जो चांद पर जमीन बेचने का दावा करती हैं, पर वास्तव में जमीन की मालिकाना हक कौन देता या दिलाता है? यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है। ब्रिजेश ने इस संबंध में खास रिसर्च की और पता लगाया कि अमेरिकी लूनार लैंडर्स कंपनी के जरिए चांद पर जमीन खरीदी जा सकती है। मेल संचार और पुष्टिकरण में उन्हें तीन महीने लगे।
ब्रिजेश ने जो जमीन खरीदी वह लूनार सोसायटी की जमीन मानी जाती है। इस प्रकार, भारत ने आउटर स्पेस ट्रीटी नामक एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं, जिस के चलते कोई भी अंतरिक्ष पर दावा नहीं कर सकता। अधिकांश देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। हालांकि, देश किसी भी तरह से अपने वैज्ञानिक विकास के लिए बाहरी अंतरिक्ष का उपयोग करते हैं।
इस बीच, दया ने बताया- मैं बहुत खुश हूं कि मेरे घर दो लक्ष्मी आई हैं। मेरा भाई मुझसे भी ज्यादा खुश है। चंद्रयान तीन चांद तक पहुंचने से पहले ही मैं बहुत खुश हूं कि मेरी दोनों बेटियां इतनी कम उम्र में चांद की धरती की मालकिन बन गई हैं। ये मेरे भाई की वजह से ही संभव हो पाया है। यूं तो लोग चंदामामा कहते हैं लेकिन सही मायने में आज मेरा भाई मेरी दोनों बेटियों के लिए चंदा मामा बना है। इसे सरप्राइज़ के तौर पर रखा है और इस बार रक्षाबंधन से पहले मुझे और मेरी बेटियों को बहुत अच्छा उपहार दिया है।
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Siddharth Pandya author

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