Morbi में जिस रोज गिरा था पुल, उस दिन जारी किए गए थे तीन हजार से अधिक टिकट- फॉरेंसिक रिपोर्ट
Morbi Bridge Collapse: इस बीच, कांग्रेस के राहुल गांधी ने आगे आरोप लगाया, ‘‘क्या उन्हें कुछ नहीं होगा क्योंकि उनके भाजपा के साथ अच्छे संबंध हैं? उन्होंने चौकीदारों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डाल दिया, लेकिन असली गुनहगारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।’’ तीस अक्टूबर की शाम मच्छु नदी पर ब्रिटिशकालीन पुल टूट गया था, जिसमें कई महिलाओं और बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी। जिला बनने से पहले मोरबी राजकोट जिले का हिस्सा था।
हालांकि, ये सारे टिकट बिके नहीं थे, पर कंपनी (असल में घड़ी बनाने वाली) ने किसी भी मामले में पुल की भार वहन क्षमता का आकलन नहीं किया था, जो मूल रूप से एक सदी पहले बनाया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले सोमवार को हादसे को ‘बड़ी त्रासदी’ करार दिया था। साथ ही गुजरात हाईकोर्ट से केस में जांच और पुनर्वास के साथ पीड़ितों को ‘सम्मानजनक’ मुआवजा दिलाने समेत अन्य पहलुओं की समय-समय पर निगरानी करने को कहा था। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की बेंच ने इन दलीलों को भी खारिज कर दिया कि मोरबी जैसे हादसे फिर नहीं हों, इसके लिए एक जांच आयोग गठित किया जाना चाहिए।
उसने कहा, ‘‘कई बार आयोग मामले को केवल ठंडे बस्ते में डाल देता है। कई बार, न्यायाधीशों के लिए कार्यवाही को संभालना सही होता है। हमने इसे खुद किया होता, लेकिन अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इसे देख रहे हैं।’’
इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि पुल हादसे के ‘‘असली गुनहगारों’’ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई क्योंकि उनके सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ‘‘अच्छे संबंध’’ हैं। राजकोट में चुनावी रैली में वह बोले थे कि (दुर्घटना स्थल पर तैनात) चौकीदारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, लेकिन असली गुनहगारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘‘जब पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि मैं मोरबी त्रासदी के बारे में क्या सोचता हूं...मैंने कहा कि करीब 150 लोग मारे गए और यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, इसलिए मैं इस पर कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन आज सवाल उठता है कि क्यों कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो इसके (त्रासदी) लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी क्यों दर्ज नहीं की गई?’’
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