Gyanvapi Case: व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ जारी रहेगी या लगेगी रोक? जानें अदालत कब करेगी सुनवाई
Gyanvapi Case Hearing: ज्ञानवापी परिसर के तहखाने में पूजा-पाठ के खिलाफ दायर याचिका पर 28 फरवरी को अदालत सुनवाई करेगी। बता दें कि वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रतिमाओं के सामने प्रार्थना कर सकता है।
ज्ञानवापी परिसर में पूजा-पाठ पर रोक लगाने वाली याचिका पर सुनवाई कब?
Varanasi News: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा-पाठ जारी रहेगी या इस पर रोक लगा दी जाएगी, इसका फैसला अदालत को करना है। वाराणसी की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ करने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तारीख तय की है।
मस्जिद समिति की याचिका पर 28 फरवरी को सुनवाई
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि अपर जिला न्यायाधीश ((पंचम) अनिल कुमार की अदालत ने मस्जिद परिसर में तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई की तारीख 28 फरवरी तय की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी दायर की थी एक याचिका
वाराणसी की जिला अदालत ने 31 जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में प्रतिमाओं के सामने प्रार्थना कर सकता है। मस्जिद समिति ने इस फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था। ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने जिला अदालत के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की थी।
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में रखी थी ये दलीलें
पिछली सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने 17 जनवरी के डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश पर सवाल खड़े किए थे। पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि 31 जनवरी को जिला जज ने वादी के प्रभाव में आकर आदेश दिया। मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि जिला जज ने वादी के कहे को अंतिम सत्य या ईश्वरीय सत्य मान लिया।
मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया था कि व्यास जी के तहखाने पर 31 साल के बाद हक जताने वाले लोगों का कोई लिखित बयान नहीं है कि वे कौन हैं, इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि बाबरी मामले में निर्मोही अखाड़े के एक व्यक्ति के अधिकार मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी जांच के बाद अर्जी को ख़ारिज कर दिया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में 31 साल बाद हिंदू पक्ष द्वारा अपना हक मांगने पर निचली अदालत ने उनके आवेदन को मंजूर भी कर लिया।
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