ज्ञानवापी से जुड़े दो मामलों में आज सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने की तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने की मांग
याचिका में ज्ञानवापी परिसर में बंद 6 अन्य तहखाने की ASI सर्वे कराने की मांग की गई है। जिला जज की अदालत में दोनों मामलों की सुनवाई होगी। दोपहर लगभग 2 बजे सुनवाई होनी है।
ज्ञानवापी मामले पर सुनवाई
Gyanvapi Hearing Today: ज्ञानवापी से जुड़े दो मामलों में आज सुनवाई होगी। तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाने की मांग पर सुनवाई होनी है। मुस्लिम पक्ष ने तहखाने में 15 दिन के लिए पूजा-पाठ पर रोक लगाने की मांग की थी। इसी मामले में आज हाईकोर्ट में भी सुनवाई है। कोर्ट के आदेश पर 31 जनवरी को देर रात से ही तहखाने में पूजा-पाठ शुरू हो गई थी। याचिकाकर्ता राखी सिंह ने जिला जज की अदालत में याचिका दाखिल की थी। ज्ञानवापी परिसर में बंद 6 अन्य तहखाने की ASI सर्वे कराने की मांग की गई है। जिला जज की अदालत में दोनों मामलों की सुनवाई होगी। दोपहर लगभग 2 बजे सुनवाई होनी है।
राज्य सरकार रखेगी पक्ष
यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की तरफ से इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल की गई थी। इस याचिका के तहत कमेटी ने मांग की थी कि 31 जनवरी के जिला जज वाराणसी द्वारा हिंदू पक्ष को पूजा की अनुमति देने के फैसले पर रोक लगाई जाए। इलाहाबाद हाई कोर्ट में 12 फरवरी को इस मामले की पिछली सुनवाई हुई थी। इस दिन मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अपना पक्ष रखा था। 15 फरवरी को होने वाली सुनवाई में हिंदू पक्ष और राज्य सरकार अपना पक्ष कोर्ट में रखने वाली है।
मुस्लिम पक्ष की दलीलें
पिछली सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी के वकील एसएफए नकवी ने 17 जनवरी के डीएम को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश पर सवाल खड़े किए थे। पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि 31 जनवरी को जिला जज ने वादी के प्रभाव में आकर आदेश दिया। मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि जिला जज ने वादी के कहे को अंतिम सत्य या ईश्वरीय सत्य मान लिया। मुस्लिम पक्ष ने तर्क दिया था कि व्यास जी के तहखाने पर 31 साल के बाद हक जताने वाले लोगों का कोई लिखित बयान नहीं है कि वे कौन हैं, इस दौरान मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि बाबरी मामले में निर्मोही अखाड़े के एक व्यक्ति के अधिकार मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने जमीनी जांच के बाद अर्जी को ख़ारिज कर दिया था। लेकिन ज्ञानवापी मामले में 31 साल बाद हिंदू पक्ष द्वारा अपना हक मांगने पर निचली अदालत ने उनके आवेदन को मंजूर भी कर लिया।
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