Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस पर आया मौलाना अरशद मदनी का विवादित बयान, कहा- 'यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी'
Gyanvapi Case: टाइम्स नाउ नवभारत के संवाददाता गौरव श्रीवास्तव ने जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी से बातचीत की। मदनी ने कहा कि मैं इस मसले में नहीं पड़ना चाहता हूं.. हमारी चिंता तो उस तरीके पर है, उस रास्ते पर है जिस पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट चल पड़े हैं।
अदालतों में आस्था के आधार पर फैसले दिए जा रहे हैं- अरशद मदनी
Gyanvapi Case: वाराणसी की जिला अदालत के फैसले के बाद जिस तरीके से रातों-रात ज्ञानवापी परिसर में पूजा शुरू की गई उसके बाद मुस्लिम समाज में अदालत के फैसलों को लेकर चिंता बढ़ गई है। इन्हीं मुद्दों को लेकर गुरुवार देर शाम जमीयत उलेमा हिंद के दिल्ली स्थित हेड ऑफिस में एक लंबी चौड़ी बैठक हुई। इस बैठक में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ-साथ मुस्लिम समाज के तमाम बड़े नेता चिंतक बुद्धिजीवी शामिल हुए। इस बैठक का मकसद मौजूदा हालात में अदालत में कानून को दरकिनार कर आस्था के आधार पर लिए जा रहे फैसलों पर चिंता जतानी थी। इसी बैठक को लेकर टाइम्स नाउ नवभारत के संवाददाता गौरव श्रीवास्तव ने जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी से बातचीत की.......
- सवाल: अदालत आस्था के आधार पर फैसला ले रही है?
जवाब: चार दिन पहले जो हुआ पहले क्या यह किसी के अंदर हिम्मत थी की जो कब्रें बनी हुई है, मस्जिद बनी हुई हैं, मदरसे बने हुए हैं, दिल्ली में महरौली के अंदर उन्हें हटा दिया गया..मैदान बना दिया गया.. यह रास्ते, यह हिम्मत कोर्ट के उन फैसलों ने दिए हैं.. मुसलमान किस से जाकर कहे, किस कोर्ट में जाकर कहे.. जो बिल्कुल आबाद है..जिन मस्जिदों में पांच टाइम की नमाज पढ़ी जा रही है.. उसको बुतखाना बनाकर वहां पर पूजा कराई जा रही है.. सुप्रीम कोर्ट की या लोअर कोर्ट की या उनके बीच की अदालतों के जो तरीके हैं, जिन्होंने कानून को दरकिनार कर दिया है.. कानून की किताबों को आग लगा दीजिए अदालतों में आस्था के आधार पर फैसले दिए जा रहे हैं.. देश के 20 करोड़ मुसलमान को पहली बार यह खुलकर कहना पड़ रहा है कि कोर्ट से न्याय नहीं मिल रहा है।
- सवाल: क्या बीजेपी और आरएसएस मिलकर अल्पसंख्यकों के अधिकार को छीनने की कोशिश कर रही हैं?
- सवाल: क्या हिंदू राष्ट्र बनाने की जो बात होती है उस पर और कदम बढ़ाया जा रहा है?
जवाब: मैं इस मसले में नहीं पड़ना चाहता हूं.. हमारी चिंता तो उस तरीके पर है, उस रास्ते पर है जिस पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट चल पड़े हैं.. इससे यह साफ हो रहा है कि किसी भी अल्पसंख्यक को अदालत से अपने हक में फैसला नहीं मिल सकता है.. यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है.. 75 साल के अंदर जो नहीं हुआ वह आज हो रहा है।
- सवाल: क्या आप मानते हैं कि मुसलमान के राज में उनके दौर में कई मंदिरों को तोड़ा गया और उन्हें मस्जिद बनाया गया?
जवाब: आज भी कह रहा हूं पहले भी कई दफे कह चुका हूं कि जोर जबरदस्ती से ली गई किसी भी जमीन पर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती है.. यह बिल्कुल गलत बात है कि किसी भी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।
- सवाल: मुसलमान के पास निराशा के इस दौर में रास्ता क्या है? क्या वह सड़कों पर उतरेंगे? लोगों से बातचीत करके कानून के रास्ते लड़ाई लड़ेंगे?
जवाब: जमीयत उलेमा ए हिंद इन मसलों पर कभी सड़कों पर नहीं उतरता है.. आगे क्या फैसला होता है क्या तरीके अपनाए जाएंगे ये बाद में देखा जायेगा।
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टीवी न्यूज रिपोर्टिंग में 10 साल पत्रकारिता का अनुभव है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से लेकर कानूनी दांव पे...और देखें
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