Gyanvapi Case: जानिए क्यो होती है 'कार्बन डेटिंग', जिस पर आज कोर्ट सुना सकता है अपना फैसला
Gyanvapi Case: ज्ञानवापी- श्रृंगार गौरी केस में कोर्ट आज कार्बन डेटिंग की मांग वाली हिंदू पक्ष की याचिका पर अपना फैसला सुना सकती है। इस याचिका में शिवलिंगनुमा आकृति की कार्बन डेटिंग की मांग की गई है। इसे लेकर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से आपत्ति मांगी है।
- ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस: शिवलिंग नुमा आकृति की कार्बन डेटिंग की मांग
- कार्बन डेटिंग पर हिंदू पक्षों में अलग अलग सुर
- वादी राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया, दी याचिका
Gyanvapi case: आज का दिन शिवभक्तों के लिए बहुत बड़ा दिन है। क्योंकि आज ज्ञानवापी मामले में सुनवाई होनी है। आकृति नुमा शिवलिंग (Shivalinga) की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) पर जिला कोर्ट फैसला सुना सकती है। हिंदू पक्ष ने कार्बन डेटिंग की मांग की है तो वही मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) इसके खिलाफ है। सुनवाई को लेकर देर रात से ही ज्ञानवापी के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। तो वहीं आज जुमे की नमाज होने की वजह से प्रशासन अलर्ट मोड पर है। हिंदू पक्ष (Hindu Side) की मांग है कि आकृति शिवलिंग है और उसकी कार्बन डेटिंग की जाए।
एक महिला वादी ने किया विरोधकार्बन डेटिंग मामले पर इससे पहले 29 सितंबर को सुनवाई हुई थी। चार महिला वादियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन ने शिवलिंग के नीचे अरघे और आसपास की जांच कराए जाने की मांग की है। हालंकि हिंदुओं के ही एक पक्ष ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया है।वादी राखी सिंह के मुताबिक कार्बन डेटिंग से शिवलिंग के खंडित होने का अंदेशा है।वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग का विरोध कर रहा है। इस मामले में बहस पूरी होने के बाद जिला जज ने आज यानि 7 अक्टूबर के लिए फैसले का दिन तय किया था।
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कार्बन डेटिंग है क्या? उम्र जांचने की तकनीक है जिसमें कार्बनिक पदार्थों के आधार पर गणना की जाती है और इसके जरिए अनुमानित उम्र बताई जाती है और इसे एप्सोल्युट डेटिंग भी कहा जाता है। इस तकनीक के जरिए कई बार सही उम्र का अंदाजा नहीं लगा है लेकिन वर्ष की सीमा का पता लगाया जाता है। कार्बन डेटिंग के जरिए किसी वस्तु की उम्र पता लगाई जाती है। खुदाई में मिली चीजों की कार्बन डेटिंग होती है जिसकी एक तय विधि से जांच होती है और कार्बन-बेस्ड चीजों की अनुमानित उम्र पता लगती है, दूसरे शब्दों में कहें तो कार्बन डेटिंग से उम्र की गणना होती है। कार्बन के 3 रूप हैं- कार्बन 12, कार्बन 13, कार्बन 14। कार्बन 12 और 14 के बीच अनुपात निकालते है।
किसकी हो सकती है कार्बन डेटिंगमुस्लिम पक्ष का दावा है कि जो आकृति मिली वो फव्वारा है लिहाजा इसकी कार्बन डेटिंग ना हो और पत्थर, लकड़ी की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। पत्थर की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। सिर्फ कार्बनिक पदार्थों की कार्बन डेटिंग होती है, जैसे- कोई भी सजीव वस्तु जिसके अंदर कार्बन हो, मृत वस्तु के बचे हुए अवशेष की गणना, हड्डी, लकड़ी का कोयला, सीप, घोंघा का जांच आदि। इनके मृत होने के बाद कार्बन डेटिंग संभव हो सकती है।
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