क्या है कार्बन डेटिंग के खिलाफ मुस्लिम पक्ष का तर्क? हिंदू पक्ष में भी अलग-अलग सुर
Gyanvapi Case news : हिंदू पक्ष चाहता है कि आकृति पर फैले भ्रम को दूर करने के लिए इसकी कार्बन डेटिंग की जाए जबकि मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग का यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि पत्थर, लकड़ी की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। जानकारों का कहना है कि कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की हो सकती है जिसमें कभी कार्बन रहा हो।
वाराणसी की जिला अदालत में ज्ञानवापी केस की सुनवाई।
- ज्ञानवापी मस्जिद में 'शिवलिंग' जैसी आकृति की कार्बन मैपिंग होगी कि नहीं इस पर कोर्ट का आज फैसला
- वाराणसी की जिला अदालत के फैसले से तय होगा इस केस का अगला रुख, मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग के खिलाफ
- निचली अदालत ने मस्जिद परिसर के सर्वे के लिए कमीशन नियुक्त किया था, रिपोर्ट में मंदिर के चिह्न मिलने की बात कही गई है
Gyanvapi Case : ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग जैसी आकृति की कार्बन मैपिंग एवं अन्य वैज्ञानिक जांच हो सकती है कि नहीं, वाराणसी की जिला अदालत आज अपना अहम फैसला सुनाएगी। सभी की नजरें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। कोर्ट का आज का फैसला ज्ञानवापी विवाद केस का अगला रुख तय करेगा। हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में मिली आकृति 'शिवलिंग' है जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह फव्वारा है। हिंदू पक्ष चाहता है कि आकृति पर फैले भ्रम को दूर करने के लिए इसकी कार्बन डेटिंग की जाए जबकि मुस्लिम पक्ष कार्बन डेटिंग का यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि पत्थर, लकड़ी की कार्बन डेटिंग संभव नहीं है। जानकारों का कहना है कि कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की हो सकती है जिसमें कभी कार्बन रहा हो। सजीव वस्तुएं जिनके अंदर कार्बन होता है, जब वे मृत हो जाती हैं तो उनके बचे हुए अवशेष की गणना करके कार्बन डेटिंग की जाती है।
जांच के बाद भ्रम साफ हो जाएगा-हिंदू पक्ष वकील
हिंदू पक्ष के वकील सुभाष चतुर्वेदी ने कहा कि हमे मुस्लिम पक्ष से 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक जांच कराने का अनुरोध किया है। वैज्ञानिक जांच हो जाने से सच सामने आ जाएगा। मुस्लिम पक्ष कह रहा है कि यह 'फव्वारा' है। हमारा दावा है कि यह शिवलिंग है। इसे लेकर जो भ्रम बना हुआ है, जांच के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। कार्बन डेटिंग को लेकर हिंदू पक्षों में भी अलग-अलग सुर हैं। हिंदू पक्ष की वादी राखी सिंह ने कार्बन डेटिंग का विरोध किया है। उन्होंने इसके खिलाफ अर्जी दी है। कार्बन डेटिंग के पक्ष में 4 वादी हैं।
कोर्ट यदि कार्बन डेटिंग का आदेश दे देता है तो इस विधि के जरिए 'शिवलिंग' के आसपास के कार्बनिक पदार्थों की उम्र का पता लगाया जाएगा। परिसर की खुदाई कर कार्बनिक पदार्थों की खोज की जाएगी। वैज्ञानिकों का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों, शिव पूजा में उपयोग होने वाले सामान में कार्बन होता है। यही नहीं इससे परिसर में मिले मिट्टी के बर्तन और अन्य वस्तुओं की उम्र पता चलेगी। उम्र का पता चलने के बाद ज्ञानवापी में अदालत किसी नतीजे पर पहुंच सकती है।
कार्बन डेटिंग है क्या?- कार्बन के तीन रूप होते हैं-कार्बन 12, 13 और 14
- कार्बन 12 और 14 के बीच अनुपात निकाला जाता है
- किसी वस्तु की प्राचीनता एवं उम्र का पता लगाया जाता है
- खासकर खुदाई में मिली वस्तुओं की कार्बन डेटिंग की जाती है
- कार्बन के रेडियोएक्टिव आइसोटोप सी-14 के जरिए वस्तुओं कीउम्र का आकलन किया जाता है।
ज्ञानवापी परिसर केआस-पास सुरक्षा कड़ी
आज (शुक्रवार) जुमे की नमाज का दिन भी है। इसे देखते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के आस-पास सुरक्षा काफी कड़ी कर दी गई है। मस्जिद के पास भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती है। बता दें कि वाराणसी की निचली अदालत ने पांच हिंदू महिलाओं की अर्जी पर सुनवाई करते हुए मस्जिद परिसर सर्वे करने के लिए कमीशन नियुक्त किया था। राखी सिंह की दलील है कि कार्बन डेटिंग की मांग से यह केस मूल विवाद से भटक रहा है। उनका कहना है कि कार्बन डेटिंग का आदेश होने पर इसका फैसला होने में वक्त लग सकता है। राखी चाहते हैं कि कोर्ट से उन्हें श्रृंगार गौरी में पूजा का अधिकार मिले।
इस सर्वे रिपोर्ट में मस्जिद परिसर से खंडित मूर्तियां, स्वास्तिक चिन्ह, कमल फूल की आकृति सहित अन्य हिंदू मंदिरों से जुड़े धार्मिक-प्रतीक चिह्न मिलने की बात कही गई है। सर्वे के खिलाफ ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी केस को निचली अदालत से जिला अदालत में ट्रांसफर किया।
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