ज्ञानवापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्यपूर्ण, वो साक्षात विश्वनाथ ही है; सीएम योगी ने किया ये बड़ा दावा

Gyanvapi is Mandir or Masjid: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा दावा करते हुए ये कहा है कि ज्ञानवापी को "मस्जिद" कहना "दुर्भाग्यपूर्ण" है, जबकि यह स्वयं भगवान विश्वनाथ का स्वरूप है। मुख्यमंत्री की बात का समर्थन करते हुए कई दिग्गजों ने ये कहा कि ज्ञानवापी मंदिर ही है। आपको रिपोर्ट में बताते हैं कि किसने क्या कहा।

ज्ञानवापी के बारे में क्या सोचते हैं सीएम योगी?

CM Yogi on Gyanvapi: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी को "मस्जिद" कहना "दुर्भाग्यपूर्ण" है और ज्ञानवापी स्वयं "भगवान विश्वनाथ" का एक सच्चा स्वरूप है। योगी ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की, जहां उन्होंने काशी और ज्ञानवापी के पूजनीय स्थल के आध्यात्मिक महत्व पर भी प्रकाश डाला।

ज्ञानवापी को मस्जिद कहने पर क्या बोले सीएम योगी?

उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, जबकि यह स्वयं भगवान विश्वनाथ का स्वरूप है।" मुख्यमंत्री ने पौराणिक ऋषि आदि शंकर का भी विस्तृत उल्लेख किया और काशी में भगवान विश्वनाथ के साथ शंकर की मुलाकात के बारे में एक किस्सा सुनाया, जहां देवता ने एक बहिष्कृत व्यक्ति के रूप में प्रकट होकर शंकर की अद्वैत की समझ का परीक्षण किया। किस्सा सुनाते हुए ही मुख्यमंत्री ने ज्ञानवापी को स्वयं भगवान का प्रत्यक्ष स्वरूप बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "दुर्भाग्य से ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं, लेकिन ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही है...।" उन्होंने कहा, "केरल में जन्मे आदि शंकर ने देश के चारों कोनों में धर्म-आध्यात्म के लिए महत्वपूर्ण पीठों की स्थापना की। आदि शंकर जब अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर काशी आए तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेनी चाही। ब्रह्म मुहूर्त में जब आदि शंकर गंगा स्नान के लिए निकले तब भगवान विश्वनाथ एक 'अछूत' के वेश में उनके सामने खड़े हो गए। आदि शंकर ने जब उनसे मार्ग से हटने को कहा तब उसी रूप में भगवान विश्वनाथ ने उनसे पूछा कि आप यदि अद्वैत ज्ञान से पूर्ण हैं तो आपको सिर्फ भौतिक काया नहीं देखनी चाहिए। यदि ब्रह्म सत्य है तो मुझमें भी वही ब्रह्म है जो आपमें है। हतप्रभ आदि शंकर ने जब अछूत बने भगवान का परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि मैं वही हूं, जिस ज्ञानवापी की साधना के लिए वह (आदि शंकर) काशी आए हैं।"
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