Gyanvapi परिसर में ASI Survey का दूसरा दिन: हिंदू पक्ष का दावा- तहखाने से मिली मूर्ति-त्रिशूल, जानिए और क्या हुआ
Gyanvapi Survey: दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कार्य शुरु कर दिया। सर्वे से अलग रहे मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे जारी
Gyanvapi Survey: उत्तर प्रदेश (यूपी) के वाराणसी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने शनिवार (पांच अगस्त, 2023) को लगातार दूसरे दिन ज्ञानवापी परिसर (काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे) में वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया। हिंदू पक्ष के सूत्रों की ओर से कुछ टीवी न्यूज चैनलों से दावा किया गया कि सर्वे के दौरान हिंदू धर्म से जुड़ी कलाकृतियां और प्रतीक मिले। पश्चिमी दीवार से सटे तहखाने में चार फुट की मूर्ति मिली है और इस प्रतिमा पर कुछ कलाकृतियां भी हैं। यही नहीं, एक-दो फुट का त्रिशूल भी मिला है। सरकारी वकील राजेश मिश्रा ने इस बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई को आगे बताया, दूसरे दिन के सर्वे से जुड़े काम में अधिवक्ता अखलाक और मुमताज सहित मुस्लिम पक्ष (जुमे पर एक रोज पहले शामिल न हुए) के पांच लोग भी शामिल हुए।
हिंदू पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी की ओर से बताया गया कि सर्वे सुबह नौ बजे शुरू हुआ था। हम चाहते हैं कि लोग सर्वे में सहयोग करें और इसे जल्द से जल्द पूरा करें। हम पूर्ण सहयोग और भागीदारी दिखा रहे हैं। वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आए हैं। हम चाहते हैं कि मामला जल्द सुलझ जाए। सर्वेक्षण से सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार सुबह वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण कार्य शुरु कर दिया। सर्वे से अलग रहे मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। वहीं वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे वैज्ञानिक सर्वे को पूरा करने के लिए ASI को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया।
हम ASI सर्वे से संतुष्ट हैं- मुस्लिम पक्षवाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने कहा कि हम ASI सर्वेक्षण से संतुष्ट हैं। कल तक हम भाग (सर्वेक्षण में) नहीं ले रहे थे लेकिन आज हम भाग ले रहे हैं और ASI टीम की सहायता कर रहे हैं।
कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हुआ सर्वेहिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि एएसआई की 43 सदस्यीय टीम कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह करीब सात बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई और काम शुरू किया। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि सर्वे के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। हिंदू पक्ष के ही एक अन्य अधिवक्ता सुभाष चतुर्वेदी ने बताया कि ज्ञानवापी मस्जिद में जुमे की नमाज की वजह से सर्वे का कार्य दोपहर 12 से 2 बजे तक के लिए रोका गया, 2 बजे के बाद काम फिर शुरू किया गया। उन्होंने बताया कि आज ज्ञानवापी परिसर की मैपिंग और फोटोग्राफी की गयी है। सर्वेक्षण टीम दोपहर 2 बजे के बाद काम पर वापस आ गई और शाम को 5 बजे तक दिन का काम अभ्यास समाप्त करके बाहर आ गई। सर्वे टीम के साथ आए सरकारी वकील राजेश मिश्रा ने कहा कि एएसआई टीम ने शुक्रवार को दिन भर के काम के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की फोटोग्राफी और मैपिंग की। सर्वेक्षण कार्य के दौरान अपना कोई प्रतिनिधि नहीं भेजने वाले मुस्लिम पक्ष ने सर्वे पर रोक लगाने के लिये सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने सर्वे कराने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
दिा गया चार सप्ताह का अतिरिक्त समय इस बीच वाराणसी की जिला अदालत ने शुक्रवार को काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में चल रहे वैज्ञानिक सर्वे को पूरा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआई) को चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दे दिया। जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने एएसआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सर्वेक्षण कार्य पूरा करने के लिए चार सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया। सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहे हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि अब सर्वे कार्य पूरा करने की समय सीमा चार सितंबर तक बढ़ा दी गई है। पिछले आदेश के मुताबिक सर्वे चार अगस्त को पूरा करना था। यादव ने बताया कि सर्वे के दौरान मामले की वादी लक्ष्मी सिंह, सीता साहू, रेखा पाठक और मंजू व्यास तथा उनके एक-एक वकील मौके पर मौजूद रहे। मामले की एक अन्य वादी राखी सिंह उपस्थित नहीं है लेकिन उनके वकील मौजूद थे।
इसलिए किया जा रहा है सर्वेसर्वे यह तय करने के लिए किया जा रहा है कि क्या 17 वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एएसआई को सर्वे के दौरान किसी भी तरह की तोड़फोड की कार्रवाई से मना कर दिया। पीठ ने एएसआई और उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों का संज्ञान लिया कि सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई नहीं की जाएगी और न ही संरचना को कोई नुकसान पहुंचाया जाएगा।
मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे से खुद को अलग रखा। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता इस सर्वे में शामिल नहीं हुए, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस सर्वे के निर्णय को पहले ही चुनौती दी गई थी। इससे पहले वाराणसी की जिला अदालत के निर्णय के बाद एएसआई की टीम ने पिछली 24 जुलाई को भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू किया था लेकिन कुछ ही घंटों बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोईट ने इस सर्वे पर तत्काल रोक लगा दी थी और मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष रखने को कहा था। हाईकोर्ट ने तीन अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी। ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।
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