रूस से तेल आयात क्यों बंद करें, हरदीप पुरी बोले- कोई वजह नहीं
पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि ओपेक प्लस के फैसले का असर तो पड़ेगा। लेकिन हम इस तरह के हालात का सामना करते हुए बाहर निकल आएंगे।
हरदीप सिंह पुरी,पेट्रोलियम मंत्री
ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में 2 मिलिन बैरल प्रतिदिन कटौती करने का फैसला किया है। इसे भारतीय तेल इंपोर्ट बिल पर बोझ के तौर पर देखा जा रहा है। सामान्य तरीके से समझें तो आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है। इस विषय पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी से जब सवाल किया गया भारत इसका सामना कैसे करेगा तो उनका जवाब था कि हमें भरोसा है कि इस तरह के हालात में भी हम निकल जाएंगे। भारत में पांच मिलियन बीपीडी की खपत है और यह आने वाले समय में बढ़ेगा। लेकिन अगर वैश्विक स्तर से तुलना करें तो हम एक तिहाई उपभोग करते हैं। लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि आने वाले समय में करीब 25 फीसद तेल की डिमांड भारत से होगी। निश्चित तौर पर ऊर्जा आर्थिक विकास की अहम कड़ी है।
रूस से तेल खरीद के लिए किसी ने नहीं किया मना
रूस से तेल की खरीद पर उन्होंने कहा कि भारत कहीं से भी तेल खरीदेगा, इसका सीधा सा कारण है कि इस तरह की चर्चा को भारत की उपभोक्ता आबादी तक नहीं ले जाया जा सकता... क्या मुझे किसी ने रूसी तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है? इसका उत्तर स्पष्ट है 'नहीं' '। उन्होंने कहा कि 24 फरवरी को जब यूक्रेन रूस संकट शुरू हुआ तो अप्रैल मई और जून के महीने में रूस के तेल आयात की मात्रा में इजाफा हुआ। लेकिन आने वाले समय में और सप्लायर्स के आ जाने के बाद कटौती हुई। उन्होंने एक दिलचस्प प्रसंग बताया कि यूरोप एक दिन में जितना तेल खरीदता है उसका एक चौथाई हिस्सा भी रूस से भारत नहीं खरीदता। अगर रुस से आयात की बात करें तो 2002 में हम सिर्फ अपनी पूरी जरूरतों का सिर्फ .02 फीसद तेल आयात करते थे।
जहां से मिलेगा वहां से खरीदेंगे
रूस-यूक्रेन युद्ध का दुनिया के ऊर्जा मंत्र पर दूरगामी प्रभाव हो रहा है और मांग तथा आपूर्ति में असंतुलन के कारण पुराने व्यापारिक संबंध भी खराब हो रहे हैं।इसके कारण दुनिया में तमाम उपभोक्तओं और व्यापार एवं उद्योग के लिए ऊर्जा की कीमत बढ़ गई है, आम जनता के साथ-साथ उद्योगों की जेबों और देशों की अर्थव्यवस्था पर पर भी इसका कुप्रभाव साफ-साफ दिखने लगा है।गौरतलब है कि भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल का आयात अप्रैल से अभी तक 50गुना से ज्यादा बढ़ गया है। भारत फिलहाल कुल कच्चा तेल आयात का 10 फीसदी हिस्सा रूस से मंगवा रहा है। यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से महज 0.2 फीसदी आयात करता था।पुरी ने भारत को जहां से तेल मिलेगा, वह खरीदेगा क्योंकि इस तरह की चर्चा भारत की उपयोक्ता आबादी से नहीं की जा सकती है।
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