हरियाणा विधानसभा चुनाव: किसमें कितना दम? जानिए सभी दलों की ताकत, कमजोरियां और चुनौतियां
भारतीय जनता पार्टी ने कुछ महीने पहले ही हरियाणा में बड़े बदलाव किए। पार्टी ने जहां मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया वहीं, गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी से भी नाता तोड़ लिया। हालांकि सवाल यह है कि यह कवायद क्या राज्य में पार्टी को लगातार तीसरा कार्यकाल दिला पाएगी?
हरियाणा चुनाव का बजा बिगुल
Haryana Assembly Elections: चुनाव आयोग ने हरियाणा में चुनाव तारीखों का ऐलान कर दिया है। राज्य में 1 अक्टूबर को मतदान होगा और 4 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। चुनाव के ऐलान के साथ ही राज्य में सियासी सरगर्मी ने और जोर पकड़ लिया है। हरियाणा की सियासत में पिछले कुछ महीनों के दौरान बड़ी उठापटक दिखी है। भारतीय जनता पार्टी ने कुछ महीने पहले ही हरियाणा में बड़े बदलाव किए। पार्टी ने जहां मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया वहीं, गठबंधन सहयोगी जननायक जनता पार्टी से भी नाता तोड़ लिया। हालांकि सवाल यह है कि यह कवायद क्या राज्य में पार्टी को लगातार तीसरा कार्यकाल दिला पाएगी? हरियाणा में एक अक्टूबर को विधानसभा चुनाव होंगे ऐसे में राज्य के मुख्य दलों की प्रमुख ताकत, कमजोरियों, अवसरों और चुनौतियों पर डालते हैं एक नजर-
भारतीय जनता पार्टी
ताकत: हरियाणा में 10 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के पास बूथ स्तर तक मजबूत संगठनात्मक ढांचा है। पार्टी ने इन चुनावों की तैयारी काफी पहले से शुरू कर दी थी।
कमजोरी: दो बार से सरकार चला रही भाजपा को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है।
अवसर: पार्टी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर की स्वच्छ छवि का लाभ उठाने की कोशिश करेगी और साथ ही अपनी सरकार द्वारा प्रदान किए गए पारदर्शी प्रशासन को भी रेखांकित करेगी।
चुनौतियां: उसे फिर से उभरती कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल रही है, जिसने हाल के लोकसभा चुनावों में 10 में से पांच सीटें जीती हैं।
कांग्रेसताकत: दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला व्यक्तिगत रूप से मतदाताओं के व्यापक वर्ग को प्रभावित करते हैं।
कमजोरियां: हुड्डा और सैलजा के नेतृत्व में अलग-अलग धड़े होना। प्रतिद्वंद्वी पक्ष अब भी कांग्रेस के राज्य में सत्ता में रहने के समय के कथित घोटालों को उठा रहे हैं।
अवसर: कांग्रेस सत्ता विरोधी लहर को भुना सकती है।
चुनौतियां: इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और जेजेपी जैसी पार्टियों के बीच जाट मतों का बंटवारा उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
जननायक जनता पार्टी
ताकत: साढ़े चार साल तक सरकार का हिस्सा रही जजपा राज्य के ग्रामीण इलाकों में प्रभाव रखती है और देवीलाल की विरासत पर दावा करती है।
कमजोरी: भाजपा से नाता टूटने के बाद जजपा के लिए आगे के हालात कठिन होंगे।
अवसर: जजपा नेता दुष्यंत चौटाला जाट समुदाय का एक प्रमुख चेहरा हैं, जो युवा मतदाताओं को लुभाने में सक्षम हैं।
चुनौतियां: पार्टी के कुछ नेता पाला बदलकर कांग्रेस या भाजपा में जा सकते हैं।
इंडियन नेशनल लोकदलताकत: पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व में इनेलो का ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत वोट आधार है और हाल ही में बसपा के साथ गठबंधन के बाद इसमें और मजबूती आई है।
कमजोरी: अतीत में इसे कई चुनावी पराजय का सामना करना पड़ा है। हाल के दिनों में पार्टी के शीर्ष नेता कांग्रेस या भाजपा में शामिल हो गए हैं।
अवसर: इनेलो उन लोगों को लुभाने का काम करेगी जो भाजपा और कांग्रेस का विकल्प तलाश रहे हैं।
आम आदमी पार्टीताकत: वह दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकारों द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं पर निर्भर है।
कमजोरियां: हरियाणा में पहले भी प्रयास किया है, लेकिन चुनावी सफलता नहीं मिली।
अवसर: पार्टी खुद को भाजपा और कांग्रेस के विकल्प के रूप में पेश कर रही है।
चुनौतियां: हरियाणा में बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ना एक कठिन काम होगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव ...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited