'काशी, मथुरा या लखनऊ...नया समूह विवादों को उठा रहा', दावा कर ओवैसी ने पूछा- उपासना स्थल अधिनियम जला दिया गया है?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर के सर्वे के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने की मांग करने वाली याचिका स्वीकार की है, जिसके बाद ओवैसी की यह टिप्पणियां आईं।

asaduddin owaisi

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो
उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास शाही ईदगाह परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वे होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से इस मसले पर अनुमति से जुड़े फैसले को लेकर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह मंदिर-मस्जिद विवाद तो दशकों पहले आपसी सहमति से सुलझा लिया गया था।
हाईकोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर बिना किसी का नाम लिए पोस्ट किया, ‘‘एक नया समूह इन विवादों को उठा रहा है। चाहे वह काशी हो, मथुरा हो या लखनऊ की टीले वाली मस्जिद, यह एक ही समूह है।’’
हैदराबाद से सांसद ने कहा, ‘‘उपासना स्थल अधिनियम अब भी लागू कानून है। लेकिन इस समूह ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है। उच्चतम न्यायालय को इस मामले पर नौ जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वेक्षण का आदेश देना पड़ा।’’
उन्होंने इसके अलावा गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को एक हिंदी चैनल से बातचीत के दौरान कहा- यह सही फैसला नहीं है। मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में नौ जनवरी, 2024 को सुनवाई होनी थी। अगर तब तक रुक जाते तब तक आसमान नहीं गिरने वाला था। ऐसे में मुस्लिमों की गरिमा को खराब करने का काम कब तक होता रहेगा?
ओवैसी ने आगे दावा किया- इस मसले में 12 अक्टूबर 1968 को ईदगाह ट्रस्ट और श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संघ में एक अग्रीमेंट साइन हुआ था, जिसमें नौ कंडीशंस थीं। जो मसला हल हो चुका है, उसे आप 55 साल बाद फिर खोल देते हैं। ऐसे में उपासना स्थल अधिनियम क्या जला दिया गया है या फिर वह नहीं है...अगर वह कानून है तब ऐसा कैसे हो रहा है?
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के परिसर का सर्वे करने के लिए अदालत की निगरानी में अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त करने की मांग करने वाली याचिका स्वीकार की है। कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मुद्दे पर आदेश दूसरा मंदिर-मस्जिद विवाद है, जिसमें उच्च न्यायालय ने पिछले महीनों में एक सर्वेक्षण को अपनी मंजूरी दी है।
यह याचिका भगवान श्री कृष्ण विराजमान और सात अन्य लोगों द्वारा अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडेय और देवकी नंदन के जरिए दायर की गई थी जिसमें दावा किया गया है कि भगवान कृष्ण की जन्मस्थली उस मस्जिद के नीचे मौजूद है और ऐसे कई संकेत हैं जो यह साबित करते हैं कि वह मस्जिद एक हिंदू मंदिर है।
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अभिषेक गुप्ता author

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