भड़काऊ भाषण कोई भी नहीं कर सकता स्वीकार, लगाई जाए लगाम- मोदी सरकार को SC का निर्देश

दरअसल, अदालत हरियाणा समेत कई सूबों में हुई रैलियों में एक खास समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार के आह्वान से जुड़ी कथित ‘घोर नफरत भरे भाषणों’ को लेकर दाखिल पीटिशन पर हियरिंग कर रही थी। हरियाणा में कुछ समय पहले हुए सांप्रदायिक दंगों में छह लोगों की जान चली गई थी।

Hate Speech

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

हेट स्पीच (भड़काऊ भाषण) के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के सामने अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। देश की सबसे बड़ी अदालत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को निर्देश दिया है कि वह नफरत भरे भाषण के मामलों पर गौर करने के लिए कमेटी गठित करे। शुक्रवार (11 अगस्त, 2023) को कोर्ट की ओर से यह बात ‘घोर नफरती भाषणों’’ को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान आई।

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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एस. वी. एन. भट्टी की बेंच ने केंद्र की ओर से पेश एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज से निर्देश लेने और 18 अगस्त, 2023 तक कमेटी के बारे में बताने के लिए कहा है। बेंच के मुताबिक, ‘‘समुदायों में सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए। सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। नफरती भाषण की समस्या अच्छी नहीं है और कोई भी इसे स्वीकार नहीं कर सकता है।’’

टॉप कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वीडियो के साथ सभी सामग्री जुटाने और उसके 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के अनुसरण में नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंपने का भी निर्देश दिया। दरअसल, अदालत हरियाणा समेत कई सूबों में हुई रैलियों में एक खास समुदाय के सदस्यों की हत्या और उनके सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार के आह्वान से जुड़ी कथित ‘घोर नफरत भरे भाषणों’ को लेकर दाखिल पीटिशन पर हियरिंग कर रही थी। हरियाणा में कुछ समय पहले हुए सांप्रदायिक दंगों में छह लोगों की जान चली गई थी।

पत्रकार शाहीन अब्दुल्ला की ओर से दाखिल अर्जी में कोर्ट के दो अगस्त के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था, “हम उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकारें और पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि किसी भी समुदाय के खिलाफ कोई नफरत भरा भाषण न दिया जाए और कोई हिंसा न हो या संपत्तियों को नुकसान न हो।’’

न्यायालय ने यह भी कहा था कि नफरत भरे भाषणों से माहौल खराब होता है और जहां भी जरूरत हो, पर्याप्त पुलिस बल या अर्धसैनिक बल को तैनात किया जाना चाहिए और सभी संवेदनशील क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे के जरिये वीडियो रिकॉर्डिंग सुनिश्चित की जाए।

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अभिषेक गुप्ता author

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