भोले बाबा का साम्राज्य देख रह जाएंगे दंग, कानपुर आश्रम में 5- स्टार जैसी सुविधाएं, काशी-विश्वनाथ जैसा लुक

कानपुर शहर से लगभग 25 किमी दूर स्थित आश्रम में वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर विशाल द्वार और तीन गुंबद हैं। द्वारों पर जटिल नक्काशी और शानदार डिजाइन हैं।

Surajpal ashram

सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के पास अकूत संपत्ति

Bhole Baba Ashram: हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के बाद से सूरजपाल उर्फ भोले बाबा को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इस स्वयंभू बाबा की धन-दौलत और विलासिता वाली जिंदगी की बातें सामने आ रही हैं। जैसे-जैसे पुलिस हाथरस भगदड़ में अपनी जांच तेज कर रही है, भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरज पाल की विलासितापूर्ण जीवन शैली हैरान कर रही है। उत्तर प्रदेश में भोले बाबा के कई आश्रमों के बीच कानपुर के बिधनू क्षेत्र के कसुई गांव में छह बीघे जमीन पर बनी एक भव्य हवेली ने सबका ध्यान खींचा है।

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काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया

कानपुर शहर से लगभग 25 किमी दूर स्थित आश्रम में वाराणसी के प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर की तर्ज पर विशाल द्वार और तीन गुंबद हैं। द्वारों पर जटिल नक्काशी और शानदार डिजाइन हैं। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक, भोले बाबा के कुछ सेवादार कानपुर आश्रम में रहते हैं और उनपर इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है। आश्रम के बाहर भोले बाबा और उनकी पत्नी देवी मां की फूलों से सजी एक बड़ी तस्वीर लगी है। लोगों को आकर्षित करने के लिए गेट के बाहर धार्मिक उद्धरण लिखे गए हैं।

आश्रम के अंदर क्या-क्या

आश्रम परिसर के अंदर एक विशाल बगीचा है जहां सब्जियां और फूल उगाए जाते हैं। वहां एक गौशाला भी है। आश्रम के अंदर सुविधाएं किसी पांच सितारा रिसॉर्ट से कम नहीं हैं। सभी कमरों में एयर कंडीशनर हैं, जबकि बालकनियों पर बड़े-बड़े कूलर और पंखे लगे हुए हैं। आश्रम के बीचोंबीच एक आलीशान 'सत्संग भवन' है जहां धार्मिक सभाएं आयोजित की जाती हैं। हॉल में बड़े-बड़े कूलर और स्पीकर लगाए गए हैं, जिनकी दीवारों पर अनोखी सजावट है।

चरणों की मिट्टी की अजब कहानी

सेवादार कहते हैं कि भोले बाबा जैविक नहीं बल्कि भगवान के अवतार हैं। कई भक्तों ने बाबा के चमत्कार देखे हैं। जिस मिट्टी पर भोले बाबा चलते हैं वह बहुत शुभ होती है। इसे छूने से सभी रोग ठीक हो जाते हैं। दरअसल, कहा जा रहा है कि हाथरस में भगदड़ तब मची जब सत्संग के बाद अनुयायी भोले बाबा की चरण रज यानी उनके चरणों की मिट्टी लेने के लिए उनकी ओर दौड़ पड़े।

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अमित कुमार मंडल author

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