पुलिस की नौकरी छोड़कर 'भोले बाबा' बन गए कासगंज के सूरजपाल, भगवा वस्त्र नहीं सफेद सूट और टाई पहनना पसंद

सूरजपाल के तीन भाइयों में एक की मौत हो चुकी है और भोले बाबा के रूप में ख्याति पाने वाले बाबा ने यहां बहादुर नगर की अपनी संपत्ति को एक ट्रस्ट बनाकर एक केयर टेकर नियुक्त किया है। बाबा की कोई संतान नहीं है और पत्नी को अपने साथ ही लेकर सत्संग में जाते हैं।

सूरजपाल ऐसे बना भोले बाबा

Who is Bhole Baba: बाबा नारायण हरि उर्फ साकार विश्व हरि ‘भोले बाबा’ ने करीब दो दशक से अधिक समय पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया था और अपने अनुयायियों की एक बड़ी तादाद खड़ी कर दी। देशभर में उनके अनुयायी थे। हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित भोले बाबा के एक सत्संग में मंगलवार को भगदड़ की घटना में 116 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं। इस घटना के बाद लोगों में भोले बाबा के बारे में जिज्ञासा बढ़ गई।

कई राज्यों से आए थे अनुयायी

बाबा के प्रभाव और अनुयायियों की अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मंगलवार की रात को उत्तर प्रदेश शासन की ओर से भगदड़ के जिन मृतकों की सूची जारी की गयी उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एटा और हाथरस जिलों के अलावा आगरा,संभल,ललितपुर,अलीगढ़,बदायूं, कासगंज,मथुरा,औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से सत्संग में पहुंचे थे। खासतौर से बाबा के समागम में जाने वाली अधिकांश महिलाएं हैं। एक अधिकारी ने बताया कि 116 मृतकों में 108 महिलाएं हैं।

70 वर्षीय भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल

पुलिस के एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी के मुताबिक कासगंज जिले के पटियाली थाना क्षेत्र के बहादुर नगर के मूल निवासी करीब 70 वर्षीय भोले बाबा का असली नाम सूरजपाल है। उन्होंने बताया कि सूरजपाल ने करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोड़कर आध्यात्म की ओर रुख किया और भोले बाबा बनने के बाद उनके भक्तों की संख्या बढ़ने लगी। उनके सत्संग में बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं। पटियाली के पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) विजय कुमार राना ने इस बात की पुष्टि की कि भोले बाबा बहादुर नगर के रहने वाले हैं और करीब दो दशक पहले पुलिस की नौकरी छोडकर सत्संग करने लगे।

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