Hathras Stampede: आस्था के सौदागर बाबाओं के दुष्चक्र में फंसती जनता, कई बार हो चुके हैं हाथरस भगदड़ जैसै हादसे
hathras stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस में ऐसे ही एक स्वंयभू संत की सभा में ऐसी भगदड़ मची कि अब तक 121 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। मरने वालों में अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं, ज्यादातर समाज के सबसे पिछड़े तबके से ताल्लुक रखते हैं।
हाथरस में एक स्वंयभू संत की सभा में ऐसी भगदड़ मची कि 121 लोगों की मौत हो गई
- नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ विश्व हरि के नाम से पश्चिमी यूपी में बेहद लोकप्रिय
- इन स्वंयभू बाबा का असली नाम सूरजपाल जाटव है ये यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल हुआ करते थे
- सूरजपाल जााटव को 1996 में छेड़खानी के एक मामले में यूपी पुलिस से निलंबन की सजा मिली थी
hathras stampede : भारत एक धर्मपरायण देश है। यह संवैधानिक नहीं व्यवहारिक परिभाषा है। धार्मिक होना अमूमन पूरी दुनिया में आज भी सबसे सामान्य सी बात है। अतीत में भी समाज के संचालन का पूरा जिम्मा धर्माचार्यों और धार्मिक संस्थाओं पर ही था। चाहे यूरोप के चर्च हों या तुर्की के खलीफा। भारत में भी अलग अलग राजवंशों में अलग अलग धर्मों का प्रभाव सत्ता पर साफ दिखता है चाहे हिंदू धर्म हो बौद्ध धर्म हो या इस्लाम। फिर कुछ 14वीं शताब्दी के आखिरी दशक से 17वीं शताब्दी तक इटली से लेकर फ्रांस तक यूरोप के कई देशों में धार्मिक और सांस्कृतिक आंदोलन हुए जिसमें धर्म की सत्ता को चुनौती दी गई। इसे पुनर्जागरण अंग्रेजी में रेनेसा कहा गया। खैर भारत की बात करें तो यहां भी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष, ये चार जीवन के स्तंभ बताए गए हैं। ज़ाहिर है क्रम में धर्म पहले पायदान पर है। आस्था और तर्क दो विपरीत ध्रुव हैं।
जीवन के हर मोर्चे पर चुनौतियों से घिरा हुआ एक इंसान धर्म के आगे समपर्ण करके अपनी तकलीफों को ईश्वर के हवाले करके थोड़ी मानसिक शांति पाता है। तो यह उसका बहुत बड़ा मनौवैज्ञानिक सहारा होता है। लेकिन समस्या तब होती है जब ईश्वर और भक्त के बीच आ जाते हैं आस्था के सौदागर।
तमाम धर्मों में सो कॉल्ड गॉडमैन, अवतार, स्वंयभू संतों का सिलसिला पुराना है। किसी बाबा की सभा में भगदड़ की न तो ये पहली घटना है न आखिरी। लेकिन इस घटना के मुख्य किरदार के बारे में कुछ बातें हैं जो आपको ज़रूर जाननी चाहिए।
इन स्वंयभू बाबा का असली नाम सूरजपाल जाटव है
नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा उर्फ विश्व हरि के नाम से पश्चिमी यूपी में बेहद लोकप्रिय इन स्वंयभू बाबा का असली नाम सूरजपाल जाटव है। ये यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल हुआ करते थे। सूरजपाल जााटव को 1996 में छेड़खानी के एक मामले में यूपी पुलिस से निलंबन की सजा मिली थी। इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार ने मीडिया को बताया कि छेड़खानी के मामले में सूरजपाल जाटव पर न सिर्फ आरोप सिद्ध हुए बल्कि वो लंबे समय तक एटा जेल में कैद रहे। इसी वजह से इनको निलंबित कर दिया गया। सूरजपाल नौकरी बचाने के लिए अदालत तक गए, नौकरी पर दोबारा बहाली भी हो गई। 2002 में आगरा जिले से सूरजपाल ने वीआरएस यानी ऐच्छिक रिटायरमेंट ले ली।
'छेड़खानी के आरोपी की छवि से सूरजपाल को मुक्ति पानी थी'
इसके बाद सूरजपाल पहुंचे अपने गांव नगला बहादुरपुर। छेड़खानी के आरोपी की छवि से सूरजपाल को मुक्ति पानी थी। इसी वक्त इन्होंने दावा किया कि डायरेक्ट ईश्वर से उनका संवाद स्थापित हुआ है और इसके बाद सूरजपाल ने खुद को भोले बाबा के तौर पर स्थापित करना शुरू कर दिया। ईश्वर से संवाद स्थापित होने के बाद आगरा के शाहगंज में दो कमरों के मकान से बाबा ने अपना प्रवचन शुरू किया। घर के सामने लगे हैंडपंप से बाबा लोगों के इलाज करने का दावा करते थे। प्रवचन देने बाबा के साथ उनकी मामी भी बैठती हैं। पहले कुछ लोग आए फिर संख्या और बढ़ी और इन स्वंयभू बाबा के भक्तों की संख्या हजारों से लाखों में पहुंच गई।
भोले बाबा का गेटअप भी बाकी बाबाओं से अलग था
बाबा के आश्रमों की संख्या भी बढ़ती गई और प्रभावशाली भक्तों की भी। भोले बाबा का गेटअप भी बाकी बाबाओं से अलग था। सफेद सूट में लग्ज़री गाड़ी पर सवार भोले बाबा के भक्तों में अधिकांश आबादी अनुसूचित जाति के बेहद गरीब लोगों की थी जिसमें महिलाओं की संख्या कहीं अधिक थी। बाबा की अपनी फौज भी है जिसे सेवादार कहा जाता है। यहीं सेवादार बाबा के सत्संगों में सारी व्यवस्था संभालते हैं।
नारायन साकार हरि की कमेटी चलती है
नारायन साकार हरि की कमेटी चलती है। उनकी कमेटी में शामिल लोग बस्तियों और मोहल्लों में औरतों को शामिल करते हैं। महिलाओं को सत्संगों में ले जाया जाता है। 10-10 दिनों तक महिलाओं से सेवा कार्य लिया जाता है। कमेटी में अनपढ़ और पिछड़े तबके से आने वाली महिलाओं को शामिल किया जाता था। सत्संग आयोजित कराने के लिए बड़े कारोबारियों से लेकर तमाम संपन्न लोगों से चंदा लिया जाता है। ऐसा नहीं है कि बाबा बनने के बाद सूरजपाल जाटव कभी विवादों में नहीं आए।
...तो फिर बाबा पर हाथ कौन ही डालता
कोरोना काल की पाबंदियों के बावजूद उन्होंने फर्रुखाबाद में विशाल सत्संग किया था, तब जिला प्रशासन ने सत्संग में केवल 50 लोगों के शामिल होने की इजाजत दी थी, लेकिन कानून की धज्जियां उड़ाते हुए उसमें 50,000 से ज्यादा लोग सत्संग में शामिल हुए थे। लेकिन बड़े बड़े नेता जब खुद बाबा के भक्त हैं तो फिर बाबा पर हाथ कौन ही डालता। हाथरस में बाबा के कार्यक्रम की सूचना प्रशासन को भी दी गई थी। कहा गया था कि 80 हजार लोग आ सकते हैं लेकिन आए ढ़ाई लाख से ज्यादा लोग।
उनकी कार के काफिले के पीछे भक्त दौड़ पड़े उनकी चरण रज के लिए
कार्यक्रम समाप्त हुआ और बाबा के विदा होते वक्त उनकी कार के काफिले के पीछे भक्त दौड़ पड़े उनकी चरण रज के लिए। फिर ऐसी भगदड़ मची जिसमें अब तक 121 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हो चुकी है। इस सत्संग के 7 आयोजत थे और सब के सब फिलहाल फरार हैं, उनके फोन स्विच्ड ऑफ है, पुलिस अब तक संपर्क नहीं साध पाई है। यानी मानवता का संदेश देने वाले और ईश्वर से सीधा संवाद रखने वाले फरार हैं। बाबा और तमाम आयोजकों के खिलाफ गंभीर मामलों में मुकदमें दर्ज हुए हैं। इस हादसे की जांच के लिए एसाईटी गठित कर दी गई है। इस घटना के तमाम कारणों और लापरवाही के हर एंगल की जांच होनी चाहिए। बाबा को भी अपने भक्तों की आर्थिक मदद के लिए आगे आना चाहिए और कानून के सामने भी।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
सत्याग्रह की धरती चंपारण से ताल्लुक रखने वाले आदर्श शुक्ल 10 सालों से पत्रकारिता की दुनिया में हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय और IIMC से पत्रकारिता की पढ़ा...और देखें
महाराष्ट्र के विदर्भ में सब पर भारी ‘भाजपा’, जानें कैसे 29 से 34 सीटों तक पहुंची भगवा ब्रिगेड
कौन हैं कैलाश मकवाना? जो बनाए गए मध्य प्रदेश के नए डीजीपी
आज की ताजा खबर Live 24 नवंबर-2024 हिंदी न्यूज़: महाराष्ट्र में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद बैठकों का दौर तेज, दिल्ली में प्रदूषण ने बढ़ाया सिरदर्द; पढ़ें हर छोटी-बड़ी खबरें
Delhi की महिला कांस्टेबलों को सैल्यूट, 9 महीने में 104 लापता बच्चों को उनके परिवारों से मिलाया
Rashtrapati Ashiana: जनता के लिए खुलेगा देहरादून स्थित 'राष्ट्रपति आशियाना', तैयारी शुरू
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited