यूनियन कार्बाइड जहरीले कचरे के मामले में मध्य प्रदेश HC में सुनवाई, सरकार को मिला 6 हफ्ते का समय

सरकार ने कोर्ट में हलफनामा पेश कर साफ किया कि कचरे को कंटेनर्स में लंबे समय तक रखना संभव नहीं है क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि कचरे को सावधानीपूर्वक अनलोड करने और उसके सुरक्षित निपटारे के लिए और समय दिया जाए।

यूनियन कार्बाइड कचरा

Union Carbide Waste Disposal: भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान मामले को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व विवेक कुमार जैन की खंडपीठ में हुई इस सुनवाई के दौरान सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच तीखी बहस हुई। सरकार ने मामले में अपना पक्ष रखते हुए हाईकोर्ट से अधिक समय और कचरे को सुरक्षित तरीके से अनलोड करने की अनुमति मांगी जिस पर हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार अपने हिसाब से समय ले ओर निपटान करे।

कचरे को कंटेनर्स में लंबे समय तक रखना संभव नहीं

सरकार ने कोर्ट में हलफनामा पेश कर साफ किया कि कचरे को कंटेनर्स में लंबे समय तक रखना संभव नहीं है क्योंकि यह खतरनाक साबित हो सकता है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि कचरे को सावधानीपूर्वक अनलोड करने और उसके सुरक्षित निपटारे के लिए और समय दिया जाए। सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ पब्लिसिटी स्टंट और फेक मीडिया रिपोर्ट्स के कारण पीथमपुर में हंगामा किया गया, जिससे विनिष्टीकरण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई। इसलिए फेक मीडिया रिपोर्ट्स पर रोक लगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी का कुल 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा

याचिकाकर्ताओं ने इस मामले में गठित हाई लेवल कमिटी से रिपोर्ट पेश करने की मांग की ताकि कचरे के विनिष्टीकरण में हो रही देरी के कारणों का पता लगाया जा सके। उनका कहना था कि भोपाल गैस त्रासदी का कुल 11 मिलियन मीट्रिक टन जहरीला कचरा अब भी निपटारा किए जाने का इंतजार कर रहा है। अभी तक सिर्फ 337 टन कचरा पीथमपुर में भेजा गया है, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। हाईकोर्ट ने सरकार को सावधानीपूर्वक और पहले दिए गए निर्देशों के तहत कचरे को कंटेनर्स से अनलोड करने की अनुमति दी। साथ ही कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने को कहा कि विनिष्टीकरण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो।

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