वो सिर्फ कहने के लिए सुंदर, परोपकारी और प्यार करने वाला, ठीक उल्टा है अतीक अहमद
उमेश पाल हत्याकांड में यूपी एसटीएफ का मानना है कि वारदात को भले ही प्रयागराज में अंजाम दिया गया हो साजिश के तार साबरमती जेल से जुड़े हैं। बता दें कि साबरमती जेल में अतीक अहमद बंद है।
अतीक अहमद इस समय साबरमती जेल में बंद है
Atique ahmed story: अतीक अहमद इस समय गुजरात के साबरमती जेल(Atique Ahmed in Sabarmati jail) में बंद है। लेकिन उसे डर सता रहा है कि एसटीएफ यूपी(UPSTF) ला सकती है और गुजरात से लाने के क्रम में अनहोनी हो सकती है। अब सवाल यह कि जो सुंदर हो,परोपकारी हो, दूसरों से प्यार करने वाला हो वो जेल में क्यों और उसे यूपी आने में डर क्यों लग रहा है। दरअसल अतीक अहमद सिर्फ कपड़े सफेद पहनता है, पगड़ी सफेद बांधता है। लेकिन उसकी सफेद पगड़ी से खौफनाक प्लान को जमीन पर जब असद, अरमान, गुड्डू मुस्लिम विनोद चौधरी उर्फ उस्मान जैसे पेशेवर अपराधी अंजाम देते हैं तो कानून को सीधी चुनौती मिलती है, पुलिस का इकबाल कमजोर पड़ जाता है। ऐसी सूरत में इंसाफ का तराजू ना डगमगाए, पुलिस का इकबाल कमजोर ना हो तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी सरकार जब कठोर फैसले करती है तो सफेदपोश अपराधियों में खौफ घर कर जाता है।
उमेश पाल हत्याकांड में आया नाम
अतीक अहमद के बारे में कहा जा रहा है कि वो जेल में बंद भले हो। लेकिन दिमागी खुराफात में आगे, उसे उमेश पाल पर शक हो गया था कि उसके काले साम्राज्य को जमीन में मिलाने का काम कर रहा है। लिहाजा उसे जमीन में मिलाना जरूरी है। उमेश पाल को मार पाना इतना आसान नहीं लिहाजा फुलप्रूफ प्लांनिंग के साथ हत्याकांड को अंजाम दिया गया। अपराध जगत की हर एक गतिविधियों पर करीब से नजर रखने वालों का कहना है कि जब लखनऊ में यूपी सरकार की एजेंसियों ने अतीक के साम्राज्य को ढहाने का काम शुरू किया तो शक के दायरे में उमेश पाल आया। करीब 15 साल पहले राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल भले ही मुख्य गवाह रहा हो। अतीक ने पैसे के दम पर उसे अपने खेमे में लाने में कामयाब रहा। यही वजह थी कि उमेश पाल और राजू पाल की पत्नी पूजा पाल में खटक गई। उमेश पाल ने अपनी शख्सियत को रहस्य के चोले से ढक रहा था जिसका पटाक्षेप होना ही था।
अतीक को जब शक हो गया..
जानकार कहते हैं कि प्रयागराज हो या आसपास के जिले अतीक क्या करता है, हर एक शख्स की जानकारी में है। अतीक अहमद को यह अंदेशा नहीं था कि उसकी 1700 करोड़ की प्रॉपर्टी यूं कानून के फंदे में आ जाएगी। उसे इस तरह से अपनी संपत्ति गंवाने की बौखलाहट थी तो वो यह भी पता लगाने में जुटा कि आखिर वो कौन शख्स है जो डबल गेम कर रहा है। प्रयागराज को जब पुलिस कमिश्नरेट बनाया गया तो ऐसा माना जाता है कि उमेश पाल ने फायदा उठाते हुए अतीक की काली संपत्तियों को पुलिस और प्रशासन से साझा किया क्योंकि कुछ ऐसी जानकारी थी जिसे सिर्फ या तो वो खुद या उमेश पाल जानता था। लिहाजा उसके लिए यह बेहद जरूरी हो गया कि उस शख्स से छुटकारा पा लिया जाए। इन सबके बीच वो उन लोगों की मदद किया करता था जो उसके रास्ते में कभी नहीं आते और एक तरह से दयालू बदमाश के तौर पर अपनी छवि बनाने में जुटा रहा।
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ललित राय author
खबरों को सटीक, तार्किक और विश्लेषण के अंदाज में पेश करना पेशा है। पिछले 10 वर्षों से डिजिटल मीडिया म...और देखें
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