राहुल गांधी पासपोर्ट मामले में सुनवाई, जानें- क्या है पूरा मामला
Rahul Gandhi Passport Case: राहुल गांधी ने सामान्य पासपोर्ट हासिल करने के लिए एनओसी की इजाजत मांगी थी। लेकिन उनके खिलाफ सुब्रमण्यम स्वामी ने अर्जी लगाई थी।
राहुल गांधी, कांग्रेस के कद्दावर नेता
Rahul Gandhi Passport Case: संसद सदस्यता खत्म होने के बाद राहुल गांधी की राजनयिक पासपोर्ट को सरेंडर करना पड़ा था। उसके बाद उन्होंने साधारण पासपोर्ट के लिए नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दिया। लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में अर्जी लगा कर एनओसी नहीं देने की अर्जी लगाई थी। इस संबंध में 24 मई को अदालत ने स्वामी से इस संबंध में 26 मई को जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। एडिश्न चीफ मेट्रोपोलिट मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने कहा था कि यात्रा करने का अधिकार मौलिक अधिकार है। बता दें कि राहुल गांधी ने पहले भी कई मौकों पर बिना परमिशन की यात्रा की है। एसीएमएम ने यह भी कहा कि दिसंबर 2015 में राहुल गांधी को जमानत देते समय यात्रा के संबंध में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया था और उस समय सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका खारिज की थी।
नेशनल हेराल्ड केस में राहुल गांधी आरोपी
राहुल गांधी, जिन्हें मानहानि के एक मामले में सजा के बाद लोकसभा सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित किया गया था वो नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपी हैं और स्वामी शिकायतकर्ता हैं। अधिवक्ता निखिल भल्ला और सुमित कुमार के साथ पेश हुए गांधी के वकील तरन्नुम चीमा ने कांग्रेस नेता को अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देने की मांग की ताकि वह नया पासपोर्ट हासिल कर सकें।मजिस्ट्रेट ने कहा था कि वह उसी दिन इस मामले में दलीलें सुनेंगे। आवेदन में कहा गया है आवेदक मार्च 2023 में संसद सदस्य नहीं रहा और इस तरह उसने अपने राजनयिक पासपोर्ट को सरेंडर कर दिया और नए साधारण पासपोर्ट के लिए आवेदन कर रहा है। वर्तमान आवेदन के माध्यम से आवेदक उसे एक नया साधारण पासपोर्ट जारी करने के लिए इस न्यायालय से अनुमति और अनापत्ति मांग रहा है।
नेशनल हेराल्ड केस में स्वामी शिकायतकर्ता
नेशनल हेराल्ड मामला सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ स्वामी की एक निजी आपराधिक शिकायत पर आधारित है जिसमें उन पर धोखाधड़ी, साजिश और आपराधिक विश्वासघात का आरोप लगाया गया है। एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 9 दिसंबर, 2015 को उन्हें जमानत देते हुए टिप्पणी की थी कि आरोपी प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं जिनकी गहरी राजनीतिक जमीनी स्तर है और इस बात की कोई आशंका नहीं है कि वे भाग जाएंगे।
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ललित राय author
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