बलवंत सिंह राजोआना को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश अभी नहीं होगा लागू, जानें पूरा मामला
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।
राजोआना की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
- 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में SC में सुनवाई
- SC का निर्देश, राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचार के लिए पेश करें
- राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध
Balwant Singh Rajoana: बलवंत सिंह राजोआना को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आज सुबह दिया आदेश अभी लागू नहीं होगा। सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राजोआना की दया याचिका की फाइल अभी गृह मंत्रालय के पास ही पेंडिंग है। राष्ट्रपति के पास अभी नहीं है। तुषार मेहता ने मामले को संवेदनशील बताते हुए इस आदेश को अपलोड नहीं करने का आग्रह किया।
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि वो अगली सुनवाई पर केंद्र सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएंगे। एसजी मेहता के इस अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अपने आदेश के अमल पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने अब सुनवाई की अगली तारीख 25 नवंबर तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को निर्देश दिया कि वह 1995 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सजा पाए दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति के समक्ष विचार के लिए पेश करें। न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति पी के मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने राष्ट्रपति से दो सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार करने का अनुरोध किया।
सरकार की तरफ से नहीं हुआ कोई पेश
पीठ ने कहा, आज मामला विशेष रूप से रखे जाने के बावजूद भारत सरकार की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। पीठ केवल इस मामले के लिए एकत्र हुई थी। पिछली तारीख पर मामले को स्थगित कर दिया गया था ताकि सरकार राष्ट्रपति के कार्यालय से निर्देश ले सके कि दया याचिका पर कब तक निर्णय लिया जाएगा। यह ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता मौत की सजा पर है, हम सचिव को निर्देश देते हैं। भारत के राष्ट्रपति इस मामले को आज से दो सप्ताह के भीतर इस पर विचार करने के अनुरोध के साथ राष्ट्रपति के समक्ष रखेंगे।
25 सितंबर को शीर्ष अदालत ने राजोआना की याचिका पर केंद्र, पंजाब सरकार और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासन से जवाब मांगा था। 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में सिविल सचिवालय के प्रवेश द्वार पर हुए विस्फोट में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री और 16 अन्य लोग मारे गए थे। जुलाई 2007 में एक विशेष अदालत ने राजोआना को मौत की सज़ा सुनाई थी।
राजोआना ने कहा है कि मार्च 2012 में उसकी ओर से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत एक दया याचिका दायर की गई थी। पिछले साल 3 मई को शीर्ष अदालत ने उसकी मौत की सजा को कम करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि सक्षम प्राधिकारी उसकी दया याचिका पर विचार कर सकता है।
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