वक्फ एक्ट के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, कपिल सिब्बल रख रहे दलीलें, ओवैसी भी मौजूद

सुप्रीम कोर्ट में दायर कई अर्जियों में वक्फ संशोधन कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। बीते दिनों बजट सत्र के अंतिम दिनों में यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था।

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ अधिनियम के खिलाफ सुनवाई

Heraing on Waqf Act in Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है। यहां एआईएएमआई प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता भी अदालत पहुंचे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या मामला हाई कोर्ट को भेजा जाना चाहिए। कपिल सिब्बल ने अदालत में बहस की शुरुआत की। सिब्बल ने कहा कि नया कानून धार्मिक आजादी का उल्लंघन है। यह संविधान के आर्टिल 26 का उल्लंघन है। सिब्बल ने कहा कि नए कानून में बहुत खामियां हैं। वक्फ क्या होगा, क्या ये सरकार तय करेगी। नए कानून में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम रखे जा रहे हैं।

सिब्बल की दलीलें

सिब्बल ने कहा, संपत्ति विवाद के निबटारे की समय सीमा तय नहीं की गई है। कानून लागू से पहले के संरक्षित स्मारक को वक्फ नहीं किया जा सकता है। पुराने कानून में सेंट्रल वक्फ काउंसिल में सिर्फ मुस्लिम सदस्य थे। लेकिन नए कानून में नॉन मुस्लिम को रखकर संसद से 20 करोड़ लोगों के धार्मिक अधिकार का हनन किया गया है। वक्फ काउंसिल में ऑफिसर मतलब सरकारी अधिकारी तय किया है, ये संविधान के खिलाफ है। किसी भी सरकारी संपत्ति जिस पर वक्फ का दावा है, वो कानून लागू होने से पहले और बाद में वक्फ प्रॉपर्टी नहीं मानी जाएगी।

वक्फ संशोधन कानून के कई प्रावधानों को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में दायर कई अर्जियों में वक्फ संशोधन कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। बीते दिनों बजट सत्र के अंतिम दिनों में यह विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। मुस्लिम संगठन, मौलवी, सिविल सोसायटी और विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं। इनका आरोप है कि इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है जबकि सरकार का कहना है कि इससे वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन बेहतर होगा और उसमें पारदर्शिता आएगी।

सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने की सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार व के वी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर अब तक 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख ओवैसी की याचिका के अलावा, शीर्ष अदालत ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैयब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज झा द्वारा दायर याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

सपा, टीएमसी, बर्क की याचिका भी शामिल

शीर्ष अदालत में इस मुद्दे पर कई नयी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन्हें अभी सूचीबद्ध किया जाना बाकी है। इन याचिकाओं में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर याचिकाएं भी शामिल हैं। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) प्रमुख एवं अभिनेता से नेता बने विजय ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है।

हरिशंकर जैन ने भी दी चुनौती

अधिवक्ता हरि शंकर जैन और मणि मुंजाल ने भी एक अलग याचिका दायर कर वक्फ कानून के कई प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी है कि वे गैर-मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन करते हैं, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने इसे सूचीबद्ध करने को सहमत हुए।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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