पहले प्रचंड गर्मी ने सताया, अब भारी बारिश से पश्चिमी हिमालय इलाकों और मध्य भारत में मंडराया बाढ़ का खतरा
विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों और पश्चिमी हिमालय की तराई में सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद हैं। मध्य भारत में भी गोदावरी, महानदी और अन्य नदी घाटियों में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है।
अब बाढ़ का खतरा
Floods in Western Himalayan: मौसम लगातार करवटें ले रहा है और हालात मुश्किल होते जा रहे हैं। मई-जून में प्रचंड गर्मी के बाद अब देश के कई हिस्सों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार को कहा कि जुलाई में भारत में सामान्य से अधिक बारिश हो सकती है और भारी वर्षा के कारण पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों और देश के मध्य भाग में नदी घाटियों में बाढ़ आने की आशंका है। आईएमडी ने पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश का पूर्वानुमान जताया है।
जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने डिजिटल तरीके से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है जो लंबी अवधि के औसत (एलपीए) 28.04 सेमी से 106 प्रतिशत अधिक रह सकती है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। आईएमडी प्रमुख ने कहा कि सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान निश्चित रूप से कुछ क्षेत्रों में बहुत भारी वर्षा की संभावना को दर्शाता है।
बादल फटने, भूस्खलन, बाढ़ का खतरा
उन्होंने कहा, विशेष रूप से अगर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों और पश्चिमी हिमालय की तराई को देखें तो हम सामान्य से अधिक वर्षा की उम्मीद कर रहे हैं। महापात्र ने कहा कि यह वह क्षेत्र है जहां बादल फटने, भारी बारिश के कारण भूस्खलन, बाढ़ के रूप में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। कई नदियां भी यहीं से निकलती हैं। मध्य भारत में भी गोदावरी, महानदी और अन्य नदी घाटियों में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है। इसलिए वहां बाढ़ की आशंका अधिक है।
नेपाल स्थित अंतर-सरकारी संगठन अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केंद्र के विशेषज्ञों ने भी बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और पाकिस्तान सहित हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र के देशों के लिए मानसून के दौरान मौसम की चरम घटनाओं की चेतावनी दी है। आईसीआईएमओडी में जलवायु सेवा के लिए कार्यक्रम समन्वयक मंदिरा श्रेष्ठ ने कहा कि पिछले वर्ष हिंदुकुश हिमालयी देशों के कई इलाकों में औसत से कम वर्षा हुई थी, इस तथ्य के बावजूद हिंदुकुश हिमालय के क्षेत्रों में समुदाय कई बार विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हुए।
बर्फ के पिघलना से विनाशकारी बाढ़
उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में, इस बारिश का मानसून पूर्वानुमान चिंताजनक है। यह समग्र तापमान वृद्धि की प्रवृत्ति के भी विपरीत है, जिसके बारे में हम जानते हैं कि यह बर्फ और हिमनदों के अधिक पिघलने के नुकसान से जुड़ा है। बर्फ का पिघलना अक्सर विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का एक प्रमुख कारक होता है जिसे हम इस समय अपने क्षेत्र में देख रहे हैं। वर्ष 2023 में जुलाई और अगस्त में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तथा अक्टूबर में पूर्वी हिमालय में तीस्ता नदी में विनाशकारी बाढ़ आई थी।
जून में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश
भारत में जून में सामान्य से 11 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। महापात्र ने जून में सामान्य से कम वर्षा के लिए मौसम प्रणालियों की कमी के कारण देश के उत्तरी और पूर्वी भागों में मानसून की धीमी प्रगति को जिम्मेदार ठहराया। आईएमडी ने कहा कि पश्चिमी तट को छोड़कर उत्तर-पश्चिम भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। मौसम विभाग ने कहा कि मध्य भारत, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कई हिस्सों और पश्चिमी तट पर सामान्य से अधिक तापमान रहने की संभावना है।
1901 के बाद से जून रहा सबसे गर्म महीना
आईएमडी ने कहा कि उत्तर-पश्चिम के कुछ हिस्सों और मध्य भारत के आस-पास के इलाकों और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने का अनुमान है। महापात्र ने कहा कि हम जुलाई में मानसून के दौरान अच्छी बारिश की उम्मीद कर रहे हैं। आईएमडी ने बताया कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून का महीना 1901 के बाद से अब तक का सबसे गर्म महीना रहा, जिसमें औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस रहा।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में मासिक औसत अधिकतम तापमान 38.02 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक है। औसत न्यूनतम तापमान 25.44 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 1.35 डिग्री सेल्सियस अधिक है। आईएमडी प्रमुख ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में जून में औसत तापमान 31.73 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 1.65 डिग्री सेल्सियस अधिक और 1901 के बाद सबसे अधिक है।
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