संभल पर बड़ी खबर: हाई कोर्ट ने आदेश में जामा मस्जिद को विवादित ढांचा लिखा, 10 मार्च को अगली सुनवाई
Sambhal Masjid Row: हिंदू पक्ष की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज के आदेश में संभल की जामा मस्जिद को विवादित ढांचा लिखवाया। हिंदू पक्ष ने मस्जिद को विवादित ढांचा लिखने की मांग की थी। ASI ने मस्जिद की रंगाई पुताई को लेकर मुस्लिम पक्ष द्वारा बनाए जा रहे दबाव पर सवाल खड़े किए।

संभल मस्जिद पर सुनवाई।
Sambhal Masjid Row: हिंदू पक्ष की मांग पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज के आदेश में संभल की जामा मस्जिद को विवादित ढांचा लिखवाया। हिंदू पक्ष ने मस्जिद को विवादित ढांचा लिखने की मांग की थी। ASI ने मस्जिद की रंगाई पुताई को लेकर मुस्लिम पक्ष द्वारा बनाए जा रहे दबाव पर सवाल खड़े किए। साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने मस्जिद कमेटी की ओर से रखी गई आपत्तियों पर जवाब दाखिल करने के लिए वक्त देने की मांग की। मस्जिद कमेटी ने ASI रिपोर्ट के उस निष्कर्ष पर एतराज जाहिर किया है जिसके मुताबिक मस्जिद के रंगरोगन की जरूरत नहीं है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 10 मार्च को होगी।
यह अब विवादित इमारत है-हरिशंकर जैन
वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि यह हरिहर मंदिर रहा है। कुछ लोगों ने बाद में इसे मस्जिद कहना शुरू कर दिया। एएसआई ने भी इसे मस्जिद कहा दिया था। जब तक कोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता तब तक इसे विवादित इमारत ही कहा जाएगा। इसे एकतरफा मस्जिद नहीं कहा जा सकता। चूंकि इस ढांचे पर विवाद है, इसलिए कानूनी रूप से इसे विवादित इमारत ही कहा जाएगा। अयोध्या मामले में भी हमेशा विवादित स्थल या इमारत लिखा गया। संभल का यह मामला अयोध्या जैसा हो गया है। जनता का इंतजार खत्म होगा और संभल में भव्य हरिहर मंदिर बनेगा।
मुस्लिम पक्ष ने रंगाई-पुताई की इजाजत मांगी थी
मस्जिद कमेटी का कहना है कि मस्जिद की साफ-सफाई शुरू हो गई है लेकिन नमाज के लिए सफेदी की भी इजाजत दी जाए। इसके अलावा मस्जिद समिति ने हाई कोर्ट से एएसआई की रिपोर्ट खारिज करने की मांग की है और कहा है कि एएसआई गार्जियन है, मालिक नहीं। मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद में रंगाई-पुताई कराने की इजाजत मांगी थी जिसका विरोध हिंदू पक्ष ने किया था। हिंदू पक्ष का कहना है कि रंगाई-पुताई की इजाजत मिलने पर इमारत के अंदर सबूत से छेड़खानी की जा सकती है या उन्हें मिटाया जा सकता है। इसके बाद कोर्ट ने मस्जिद में साफ-सफाई कराने की इजाजत दी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई से पहले हिंदू पक्ष ने हलफनामा दाखिल किया। इसमें कहा गया-
1. 3 जनवरी 1927 को मस्जिद कमेटी और भारत सरकार के बीच कथित एग्रीमेंट की प्रामाणिकता पर सवाल उठाया। कहा जिस एग्रीमेंट के आधार पर मुस्लिम पक्ष रंगी पुताई की मांग कर रहा है वह भरोसे के काबिल नहीं है ।
2. कहा The Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act, 1958 के लागू होने के बाद से Ancient Monument Preservation Act 1904 के तहत किसी भी सरकार और प्राइवेट पार्टी के बीच हुआ कोई भी समझौता निष्क्रिय और निष्प्रभावी हो गया है। ऐसे में मस्जिद कमेटी 1927 के एग्रीमेंट का हवाला नहीं दे सकती है।
3. राष्ट्रीय महत्व के संरक्षित स्मारकों पर The Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Rules 1959 का सेक्शन 3 लागू नहीं होता है।
4. ASI को परिसर में घुसने की इजाजत नहीं। यही नहीं संरक्षित स्मारक को प्राइवेट प्रॉपर्टी के तौर पर मस्जिद कमेटी ने इस्तेमाल किया। इसके अलावा मस्जिद कमेटी के लोगों ने स्मारक में मौजूद हिन्दू मंदिर के निशान को मिटा दिया।
5. ASI ने अपनी रिपोर्ट में भी साफ किया है परिसर से गैरकानूनी तरीके से मस्जिद कमेटी ने बदलाव किए जिसके चलते इसके किए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
6. मस्जिद कमेटी का एक ही मकसद है कि रंगाई पुताई के बहाने मंदिर के निशान मिटा दिए जाएं
7. कहा विवादित प्रॉपर्टी हिन्दुओं की आस्था के मुताबिक हरिहर मंदिर है और मस्जिद कमेटी के लोगों को इसके अंदर घुसने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
8. कहा जिस परिसर में ASI ही रंगाई पुताई कर सकती है वहां कमेटी ने गैरकानूनी तरीके से कई बदलाव किए। ऐसे में कमेटी की याचिका खारिज कर देना चाहिए।
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