सूरत से BJP सांसद को हाईकोर्ट का नोटिस, निर्विरोध निर्वाचन को दी गई चुनौती
Surat BJP MP Mukesh Dalal: सूरत के कुछ मतदाता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मुकेश दलाल की जीत को चुनौती दी गई है। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद और सूरत से जीतने वाले प्रत्याशी मुकेश दलाल को नोटिस भेजा है।
मुकेश दलाल बीजेपी सांसद
Surat BJP MP Mukesh Dalal: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने चुनावी नतीजों के पहले ही गुजरात के सूरत की सीट पर निर्विरोध जीत हासिल की थी। सूरत लोकसभा की जीत देशभर में सुर्खियों में तक आई थी। अब सूरत सीट फिर एक बार सुर्खियों में है, क्योंकि सूरत लोकसभा क्षेत्र के कुछ मतदाताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया है। मतदाताओं ने कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन को खारिज करने के फैसले को चुनौती देते हुए भाजपा प्रत्याशी की जीत पर सवाल खड़े किए हैं। इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट ने बीजेपी सांसद और सूरत से जीतने वाले प्रत्याशी मुकेश दलाल को नोटिस भेजा है।
गुजरात हाईकोर्ट में 25 जुलाई को हुई सुनवाई के बाद सूरत लोकसभा सीट से बीजेपी सांसद मुकेश दलाल को उनकी निर्विरोध जीत को चुनौती देने वाली याचिका पर समन जारी किया गया है। गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस जेसी दोषी की कोर्ट ने 9 अगस्त को मामले पर सुनवाई की तारीख तय की है। बता दें, मुकेश दलाल सूरत से तब निर्विरोध जीते थे जब कांग्रेस प्रत्याशी निलेश कुंभानी का पर्चा खारिज हुआ था और बाद में अन्य प्रत्याशी ने अपने नामांकन वापस ले लिए थे। 25 जुलाई को हुई सुनवाई की जानकारी आज रविवार को सामने आई।
नामांकन खारिज करने के फैसले को दी गई चुनौती
सूरत के कुछ मतदाता और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा गुजरात हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मुकेश दलाल की जीत को चुनौती दी गई है। याचिका में कांग्रेस के प्रत्याशी निलेश कुंभानी के नामांकन को खारिज करने के सूरत रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले को चुनौती देते हुए सूरत कलेक्टर के फैसले को अवैध बताया है। आपको बता दें, दो अलग-अलग याचिका दाखिल की गई हैं, जिसमे एक याचिका दो कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की है और एक याचिका सूरत के मतदाता की है। याचिका में नामांकन फार्म की जांच से जुड़ी जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 36 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कुंभनी के पर्चे को निरस्त करने के फैसले को चुनौती दी है।
हाईकोर्ट में दी गई ये दलील
याचिकाकर्ता के वकील पीएस चंपानेरी ने 25 जुलाई को सुनवाई के दौरान दलील दी कि हस्ताक्षरों का सत्यापन करना कलेक्टर का काम नहीं होता है। कोर्ट में इस बात पर भी जोर देते हुए तर्क दिया कि कांग्रेस एक राष्ट्रीय पार्टी है और इस वजह से किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में प्रत्याशियों के लिए उसके पास प्रस्तावको की कोई कमी नहीं होती। कांग्रेस के प्रत्याशी निलेश कुंभानी का नामांकन उनके प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में विसंगतियों के आधा पर खारिज कर दिया गया था, जिसमें उन्होंने हलफनामा दायर कर दावा किया था कि उन्होंने पेपर पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। आपको बता दे कि निलेश कुंभानी के डमी कैंडिडेट सुरेश पडसाला का नामांकन भी इसी कारण से अमान्य घोषित किया गया था, इस हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद सूरत कलेक्टर जो चुनाव अधिकारी थे सौरभ पारघी ने बीजेपी के मुकेश दलाल को निर्विरोध जितने का प्रमाण पत्र सौंप दिया था।
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