गोल्डन ट्रायंगल से हाई-टेक साइबर फ्रॉड, ED की चार्जशीट से सनसनीखेज खुलासे
जालसाज फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक विज्ञापन चलाते थे, जिनमें निवेश पर मोटे मुनाफे का लालच दिया जाता था। पीड़ितों को प्रोफेशनल दिखने वाले व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़ा जाता था, जहां फर्जी निवेशकों की टीम पहले से एक्टिव होती थी।

गोल्डन ट्रायंगल से हाई-टेक साइबर फ्रॉड (PHOTO साभार- AI IMAGE)
Reported By- Anuj Mishra: देश में तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामलों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। हाल ही में दाखिल की गई चार्जशीट में इस बात का पर्दाफाश हुआ है कि देश के सैकड़ों लोगों को रोजगार का झांसा देकर 'गोल्डन ट्रायंगल' (थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा से सटे इलाकों) में ले जाया गया, जहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर अपराध करवाए जा रहे थे।
159 करोड़ की ठगी, सोशल मीडिया और क्रिप्टो का इस्तेमाल
चार्जशीट के अनुसार, इस साइबर रैकेट के जरिए करीब 159.70 करोड़ रुपये की ठगी की गई। आरोपियों ने सोशल मीडिया, फर्जी निवेश कंपनियों, क्रिप्टोकरेंसी और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का इस्तेमाल कर शातिराना ढंग से लोगों को अपने जाल में फंसाया।
सोशल मीडिया बना हथियार
जालसाज फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे सोशल प्लेटफॉर्म्स पर आकर्षक विज्ञापन चलाते थे, जिनमें निवेश पर मोटे मुनाफे का लालच दिया जाता था। पीड़ितों को प्रोफेशनल दिखने वाले व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़ा जाता था, जहां फर्जी निवेशकों की टीम पहले से एक्टिव होती थी। फिर उन्हें नकली मोबाइल ऐप्स जैसे IC ORGAN MAX, Techstars.shop और GFSL Securities डाउनलोड करने को कहा जाता था।
शुरुआत में दिखाते थे मुनाफा, फिर ठगते थे करोड़ों
इन ऐप्स में दिखाए गए IPOs और स्टॉक्स इतने असली लगते थे कि लोग धोखा खा जाते थे। शुरुआत में इन्वेस्टमेंट पर फर्जी मुनाफा दिखाकर भरोसा कायम किया जाता था, और जैसे ही लोग ज्यादा पैसे निवेश करते, उन्हें टैक्स, ब्रोकरेज या चार्ज के नाम पर लूट लिया जाता। एक समय बाद स्कैमर्स संपर्क खत्म कर देते थे।
गोल्डन ट्रायंगल से हो रही थी साइबर ठगी की कमान
ED की जांच में सामने आया कि थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमा पर स्थित इलाकों में बड़ी-बड़ी इमारतों में साइबर ठगों का अड्डा बना हुआ था। यहां से चीनी नागरिकों की अगुवाई में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लाए गए युवाओं से अंग्रेज़ी में चैट करवाई जाती थी। उनके मोबाइल छीन लिए जाते थे और “वर्क फोन” दिए जाते थे जिनसे भारत के लोगों को फंसाया जाता था। मना करने पर मारपीट और धमकियां दी जाती थीं।
यूपी से सिंगापुर, फिर लाओस
एक उदाहरण में, उत्तर प्रदेश के मनीष तोमर ने ED को बताया कि उसे Instagram इन्फ्लुएंसर बॉबी कटारिया ने सिंगापुर में नौकरी का झांसा देकर 50 हजार रुपये लिए, फिर उसे लाओस भेज दिया गया, जहां उसका पासपोर्ट ज़ब्त कर साइबर फ्रॉड करने को मजबूर किया गया।
फरीदाबाद, नोएडा और भटिंडा में करोड़ों की ठगी
फरीदाबाद: एक महिला को व्हाट्सएप ग्रुप्स और नकली ऐप्स के जरिए 7.59 करोड़ रुपये की चपत लगी।
नोएडा: एक कारोबारी से “GFSL Securities” नाम के ग्रुप के ज़रिए 9.09 करोड़ रुपये ऐंठ लिए गए।
भटिंडा: एक डॉक्टर को फेसबुक के इन्वेस्टमेंट लिंक से फंसाकर 5.93 करोड़ रुपये की ठगी की गई।
शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग
ED ने पाया कि इस घोटाले के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और अन्य राज्यों में 24 फर्जी कंपनियां बनाई गई थीं, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया। ये कंपनियां को-वर्किंग स्पेस के पते पर रजिस्टर्ड थीं और इनके डायरेक्टर्स तक को नहीं पता था कि उनके नाम पर कंपनियां चल रही हैं।
SIM कार्ड्स और क्रिप्टो से मिटा रहे थे सुराग
जालसाज टेलीग्राम के माध्यम से फर्जी सिम कार्ड्स हासिल करते थे, जिनका इस्तेमाल नकली बैंक खातों और व्हाट्सएप ग्रुप्स बनाने में होता था। ठगे गए पैसों को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेजा जाता था ताकि कोई सुराग न मिले।
छापेमारी और गिरफ्तारी
ED ने कर्नाटक और तमिलनाडु में 19 स्थानों पर छापेमारी कर 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर फर्जी कंपनियों के ज़रिए मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। अब तक 2.81 करोड़ रुपये की रकम फ्रीज़ की जा चुकी है।
अदालत में पेश चार्जशीट
ED ने इस मामले में 10 अक्टूबर 2024 को बेंगलुरु की विशेष PMLA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 8 आरोपियों और 24 शेल कंपनियों को नामजद किया गया है। कोर्ट ने 29 अक्टूबर को इस पर संज्ञान लिया है और जांच अब भी जारी है।
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फिलहाल मैं www.timesnowhindi.com में बतौर एडिटर कार्यरत हूं। पत्रकारिता में मेरे सफर की शुरुआत 22 साल पहले हुई। 2002 अक्टूबर में टीवी की रुपहले दुनिया...और देखें

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