BJP के लिए हिजाब मुद्दा लैब एक्सपेरिमेंट,कपिल सिब्बल बोले-अच्छा होता महंगाई के खिलाफ होता प्रयोग
हिजाब के समर्थन में जिरह करने वाले कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मुद्दा बीजेपी लिए एक प्रयोग की तरह है। अच्छा होता कि बीजेपी सरकार उन मुद्दों पर प्रयोग करती जो आम लोगों की दुश्वारियों से जुड़ी है।
कर्नाटक में हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट ने बंटा हुआ फैसला सुनाया है। दो जजों की बेंच में से एक सुधांशु धूलिया ने कहा कि यह सिर्फ च्वाइस का मामला है उससे अधिक कुछ नहीं तो दूसरे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि कर्नाटर हाईकोर्ट के फैसले को जायज ठहराते हुए हिजाब बैन को सही करार दिया। बता दें कि इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट में हर एक बिंदू पर दिलचस्प जिरह हुई थी जिसमें कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे जैसे वकीलों ने हिजाब के समर्थन दलील दी थी। इस विषय पर राजनीतिक टिप्पणी करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि यह एक लैब एक्सपेरिमेंट की तरह है अगर फैसला पक्ष में रहा तो राजनीतिक लाभ लेने के लिए बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाने पर लिया।
महंगाई, गरीबी पर नहीं हो रहा प्रयोग
कपिल सिब्बल ने कहा यह बेहतर होता कि केंद्र की सरकार इस तरह के मामलों की जगह असली और जनसरोकार से मुद्दे को प्राथमिकता देती। सरकार इन कुछ खास मुद्दों पर जैसे महंगाई की दर कम करने पर प्रयोग करती जो इस 7.4 फीसद है। फैक्ट्रियों में उत्पादन पर जोर देती। गरीबी को कम करने के लिए प्रयोग करती। गरीब लोगों को न्याय दिलाने पर जोर देती।
हिजाब के समर्थन में सिब्बल की थी दलील
सिब्बल वरिष्ठ अधिवक्ताओं में से एक थे जिन्होंने छात्राओं, महिला अधिकार समूहों, वकीलों, कार्यकर्ताओं और इस्लामी निकायों के बैच के लिए तर्क दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, दुष्यंत दवे, सलमान खुर्शीद, हुज़ेफ़ा अहमदी, कॉलिन गोंजाल्विस, मीनाक्षी अरोड़ा, संजय हेगड़े, एएम डार, देवदत्त कामत और जयना कोठारी ने भी मुस्लिम छात्राओं द्वारा पहने जाने वाले दुपट्टे पर प्रतिबंध के खिलाफ तर्क दिया।कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मुस्लिम छात्रों के एक वर्ग द्वारा कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति मांगने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि स्कार्फ पहनना इस्लाम में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ताओं ने पीठ से कर्नाटक सरकार के आदेश का परीक्षण करने के लिए कहा, जिसमें मौलिक अधिकारों के एक स्पेक्ट्रम, विशेष रूप से धर्म, संस्कृति, गोपनीयता और शिक्षा से संबंधित उल्लंघन का उल्लंघन किया गया था। उनमें से अधिकांश ने शीर्ष अदालत से इस विवाद से दूर रहने का भी आग्रह किया कि क्या हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है या नहीं।
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