Himachal Election: इन तीन दिग्गजों के इर्द-गिर्द सालों से रही थी हिमाचल की राजनीति, इस बार नहीं आएंगे नजर

Himachal Election: हिमाचल में आगामी चुनाव के लिए मतदान 12 नवंबर को होगा और मतगणना 8 दिसंबर को होगी। इस बार टिकट बांटने में बीजेपी ने काफी सतर्कता बरती है। राज्य में कई वरिष्ठ नेताओं को भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। जिसमें मंत्री से लेकर पूर्व सीएम तक के नाम शामिल हैं।

Himachal Election: इन तीन दिग्गजों के इर्द-गिर्द सालों से रही थी हिमाचल की राजनीति, इस बार नहीं आएंगे नजर
हिमाचल में अगले महीने वोटिंग है। राज्य में अगले पांच सालों का भविष्य दिसंबर तक तय हो जाएगा, लेकिन यह चुनाव पिछले कई चुनावों से अलग होगा। इस चुनाव में राजनीति के वो तीन माहिर खिलाड़ी जिन्होंने वर्षों तक हिमाचल की राजनीति पर राज किया है, वो नजर नहीं आएंगे। इस चुनाव के बाद पुरानी पीढ़ी के लगभग सभी नेता राजनीति से बाहर ही दिखेंगे।
इसमें कांग्रेस से लेकर बीजेपी तक के नेता हैं। कोई इस दुनिया में नहीं हैं तो किसी को टिकट नहीं मिली है। बात चाहे जो भी हो, अब ये साफ हो गया है कि हिमाचल की राजनीति अब इन तीनों के बिना ही आगे जाएगी। आइए जानते हैं उन दिग्गजों के बारे में...
प्रेम कुमार धूमल
प्रेम कुमार धूमल बीजेपी के हिमाचल में कद्दावर नेता हैं। दो बार सीएम की कुर्सी संभाल चुके हैं, पिछली बार भी सीएम की रेस में थे। तब बीजेपी को राज्य में जिता गए, लेकिन अपनी सीट ही हार बैठे। हार के बाद भी घर नहीं बैठे और राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन इस बार इन्हें बीजेपी ने टिकट ही नहीं दिया है। मतलब अब वो पार्टी में साइडलाइन कर दिए गए हैं। हालांकि धूमल का कहना है कि उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया है।
शांता कुमार
शांता कुमार को भी बीजेपी से इस बार टिकट नहीं मिला है। एक समय में हिमाचल के सबसे धाकड़ भाजपा के नेता थे। राज्य में पहली बार गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड इनके नाम है। दो बार राज्य के सीएम के साथ-साथ केंद्र में मंत्री रह चुके हैं। शांता कुमार कई मामलों पर पार्टी लाइन से अलग भी जाकर बयान दे चुके हैं।
वीरभद्र सिंह
कांग्रेस को हिमाचल में सबसे ज्यादा कमी वीरभद्र सिंह की खलने वाली है। वीरभद्र सिंह इस दुनिया में नहीं हैं और कांग्रेस ने पार्टी की कमान उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को दे रखी है। ये पिछले कई दशकों में पहली बार है, जब कांग्रेस वीरभद्र सिंह की रणनीति के बिना चुनावी मैदान में है। पिछले कई चुनावों में वीरभद्र सिंह बनाम भाजपा की लड़ाई होती थी, लेकिन इस बार उनके निधन से कांग्रेस बिना सीएम फेस के ही चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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