क्या हिमाचल में सियासी संकट टाल पाएंगे सुक्खू? नरम पड़े विक्रमादित्य सिंह के तेवर, अब बागी MLAs पर नजर
Himachal Pradesh Political Crisis: राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधायकों द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग के बाद सरकार पर सियासी संकट मंडराने लगा है। हालांकि, इस बीच कांग्रेस का आलाकमान एक्टिव हो गया है और उसने तीन पर्यवेक्षकों को शिमला भेजा है, जो कांग्रेस विधायकों से बारी-बारी से मुलाकात कर रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू
Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के ऊपर छाए सियासी संकट के बीच कुछ राहत भरी खबर है। दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह के तेवर नरम पड़ने लगे हैं। केंद्रीय पर्यवेक्षकों के साथ बैठक के बाद विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफे के उनके प्रस्ताव को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू द्वारा अस्वीकार करने का उल्लेख किया और पार्टी में एकता की आवश्यकता पर जोर दिया।
बता दें, राज्यसभा चुनाव के दौरान छह विधायकों के क्रॉस वोटिंग के बाद राज्य सरकार पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे। इस बीच विक्रमादित्य सिंह ने इस्तीफे की पेशकश करके राज्य की सुक्खू सरकार की मुसीबत बढ़ा दी थी। हालांकि, कुछ घंटे बाद ही मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वह इस पर जोर नहीं देंगे।
बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आज
इस बीच राज्य में सियासी संकट टालने के लिए कांग्रेस एक और दांव खेल सकती है। दरअसल, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ सरकार ने दलबदल कानून के तहत अयोग्यता की मांग की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। माना जा रहा है कि राज्य सरकार इन विधायकों को अयोग्य करार दे देगी, जिसके बाद विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा नीचे गिराकर कांग्रेस सरकार आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेगी।
फौरी तौर पर टला सियासी संकट
इस बीच माना जा रहा है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने फौरी तौर सियासी संकट को टाल दिया है। दरअसल, बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के 15 विधायकों को निलंबित करके ध्वनिमत से बजट पास कर दिया, जिसके बाद विधानसभाध्यक्ष ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। ऐसे में माना जा रहा है कि कम से कम 90 दिनों के लिए कांग्रेस ने अपनी सरकार बचा ली है।
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