खतरे में भारत की 149 साल पुरानी ऐतिहासिक इमारत? हिमाचल में लैंड स्लाइडिंग के बाद बढ़ी चिंता

Himachal Pradesh Rain Update: हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही बारिश के बाद लैंड स्लाइडिंग की कई ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसका वीडियो देखकर हर कोई सहम उठेगा। इस बीच भूस्खलन के बाद शिमला आईआईएएस की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई है। 149 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक इमारत की सुरक्षा को लेकर टेंशन है।

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आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें, बढ़ी चिंता। (File Photo)

Shimla News: शिमला में वायसरीगल लॉज के बाहरी प्रांगण में भूस्खलन ने 149 वर्ष पुरानी ऐतिहासिक इमारत की सुरक्षा के बारे में चिंता खड़ी कर दी है। इस स्थान में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) है। यहां समर हिल में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन से देवदार के बड़े-बड़े पेड़ उखड़ गए और एक शिव मंदिर ढह गया जिसमें 17 लोगों की मौत हो गयी। ऐसा प्रतीत होता है कि यह भूस्खलन आईआईएएस के विस्तारित प्रांगण की परिधि से शुरू हुआ।

आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें

शिमला के उपायुक्त आदित्य नेगी ने समाचार एजेंसी ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि आईआईएएस परिसर के कुछ हिस्से में दरारें आ गयी हैं और एहतियाती कदम उठाए गए हैं....। उन्होंने कहा, 'आईआईएएस में भूस्खलन की आशंका है जिससे जान और माल का नुकसान हो सकता है। हमने राज्य के भूविज्ञानी को पत्र लिखकर आईआईएएस का निरीक्षण करने और इस संबंध में तत्काल एक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।'

वायसरॉय लॉर्ड डफरिन का रहा निवास स्थान

ऑब्जर्वेटरी हिल में स्थित वायसरीगल लॉज पहाड़ी को काटकर बनाया गया था और इसका मलबा ढलानों पर फेंक दिया गया जो वक्त के साथ ठोस बन गया है। मुख्य इमारत 1880 के दशक की शुरुआत में बनायी गयी और यह 1884-1888 में वायसरॉय लॉर्ड डफरिन का निवास स्थान रहा। यह इमारत अच्छी स्थिति में है। यह भीषण भूस्खलन मलबे के कारण हुआ जो रिसाव से दरकने लगा है। आजादी के बाद इस लॉज को 'राष्ट्रपति भवन' का नाम दिया गया क्योंकि भारत के राष्ट्रपति गर्मियों के दौरान यहां आते थे तथा रहते थे।

राज्य सरकार ने विशेषज्ञों से मांगी मदद

वहीं हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में हो रही लैंडस्लाइडिंग की घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने एनआईटी हमीरपुर, आईआईटी मंडी और सीयू धर्मशाला के विशेषज्ञों से मदद मांगी है। सरकार ने पत्र भेजकर कहा है कि जमीन के धंसने जैसी घटनाओं में तकनीकी इनपुट देने के लिए यह अपनी विशेषज्ञता उपलब्ध करवाएं। हिमाचल सरकार राज्य से बाहर के संस्थानों से भी इस तरह की मदद मांग सकती है। बता दें, हिमाचल में इस साल आधी बारिश में 250 से अधिक लैंडस्लाइड और जमीन धंसने के मामले आ चुके हैं। शिमला में बरसात के दौरान जमीन धंसने को लेकर भी सरकार स्टडी करवाएगी।
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