हिमाचल में भाजपा के इन तीन दिग्गजों की राजनीतिक साख दांव पर,तोड़ पाएंगे 37 साल पुराना रिकॉर्ड
Himachal Pradesh Assembly Election: हिमाचल प्रदेश के वोटरों की यह खासियत रही है कि वह लगातार किसी सरकार को मौका नहीं देते हैं। इसलिए 1985 के बाद से कोई भी सरकार वापसी नहीं कर पाई है। अगर भाजपा सत्ता में वापसी करती है तो 37 साल का रिकॉर्ड टूटेगा। लेकिन बागी पार्टी के लिए चुनौती बन रहे हैं।
- इस बार भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को टिकट नहीं दिया है।
- हिमाचल प्रदेश जे.पी.नड्डा का गृह राज्य है।
- मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सिराज से चुनाव लड़ रहे हैं।
Himachal Pradesh Assembly Election: हिमाचल प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। और राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर 12 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। इन चुनावों पर जहां भाजपा के सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती है। वहीं कांग्रेस के सामने सत्ता में दोबारा वापसी की चुनौती है। अभी तक के इतिहास को देखा जाय तो हिमाचल में पिछले 37 साल में कोई भी सरकार, सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है। इसीलिए भाजपा इस बार इस बार 'सरकार नहीं, रिवाज बदले' के नारे के साथ मैदान में उतरी है। भाजपा का यह नारा कितना कारगर होगा यह तो 8 दिसंबर को पता चलेगा। लेकिन सत्ता में वापसी के लिए हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख तो दांव पर है, इसके अलावा दो और नेता हैं, जिनकी साख भी जयराम ठाकुर से कम दांव पर नहीं लगी है। क्योंकि अगर भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाती है, तो उनके लिए केंद्र के स्तर पर नई चुनौती खड़ी हो सकती है।
भाजपा के इन 3 दिग्गजों की साख दांव पर
सबसे पहले बात मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की, जिन्हें 2017 में हिमाचल में भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की जगह मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी। जयराम ठाकुर इस बार सिराज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। और चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा जा रहा है। ऐसे में अगर वह पार्टी को नहीं जिता पाते हैं, तो उनके नेतृत्व क्षमता पर न केवल सवाल उठेंगे। बल्कि प्रेम कुमार धूमल के बेटे और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर उनके लिए राज्य में चुनौती बन सकते हैं।
इस बार भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को टिकट नहीं दिया है। 2017 में भाजपा की जीत के बावजूद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल सुजानपुर से चुनाव हार गए थे। और इसलिए उनके हाथ से मुख्यमंत्री की कुर्सी फिसल गई थी। और उनकी साख को झटका लगा था। ऐसे में भले ही वह इस बार चुनावी मैदान में नहीं है। लेकिन केंद्रीय मंत्री और उनके बेटे अनुराग ठाकुर के लिए राज्य का चुनाव बेहद अहम है। और शायद इसीलिए उन्होंने पहली रैली सुजानपुर से की थी । यहीं नहीं विधानसभा सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भावुक भी हो गए। ऐसे में अगर भाजपा जीतती है तो उसका फायदा अनुराग ठाकुर को भी मिलेगा। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बार धूमल ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था।
इसके अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा के लिए भी यह चुनाव बेहद अहम है। असल में अध्यक्ष होने के साथ-साथ, हिमाचल प्रदेश जे.पी.नड्डा का गृह राज्य है। ऐसे में अगर भाजपा यहां चुनाव हारती है, तो निश्चित तौर पर जे.पी.नड्डा के लिए सेटबैक होगा।
1985 से सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है कोई सरकार
हिमाचल प्रदेश के वोटरों की यह खासियत रही है कि वह लगातार किसी सरकार को मौका नहीं देते हैं। इसलिए 1985 के बाद से कोई भी सरकार वापसी नहीं कर पाई है। ऐसे में भाजपा के इन तीन दिग्गजों के लिए बड़ी चुनौती है। खास तौर पर जब अक्टूबर 2021 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने मंडी लोक सभा सीट जीतने के साथ तीनों विधानसभा सीट जीतकर भाजपा का सफाया किया। लेकिन हाल में कांग्रेस में जारी कलह भाजपा के लिए सत्ता में वापसी का मौका बन सकता है। और अगर ऐसा होता है तो 37 साल का रिकॉर्ड टूटेगा। हालांकि भाजपा के सामने भी बागियों की चुनौती है। और उनसे निपटने के लिए जे.पी.नड्डा ने खुद मोर्चा संभाल रखा है।
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