तो 90% हिमालय में पड़ेगा सूखा, ग्लोबल वार्मिंग पर नई रिसर्च में परेशान करने वाला दावा
Global Warming and Climate Change: यूनिवर्सिटी ऑफ इस्ट एंग्लिया (UEA) के शोधकर्ताओं की टीम हिमालय क्षेत्र के जलवायु पर नई जानकारियां सामने लेकर आई है। इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरे हिमालयी क्षेत्र के मानव एवं प्राकृतिक व्यवस्था पर बढ़ते खतरों के बारे में चेताया गया है।
ग्लोबल वार्मिंग पर नई रिपोर्ट।
Global Warming and Climate Change: जलवायु परिवर्तन का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते कहीं सूखा, कहीं बाढ़ तो कहीं मौसम की असामान्य दशाएं सामने आती रहती हैं। जलवायु परिवर्तन पर एक ताजा रिपोर्ट में चेताया गया है कि दुनिया का तापमान यदि तीन प्रतिशत और बढ़ गया तो हिमालय का 90 प्रतिशत हिस्सा सूख जाएगा और ऐसा हुआ तो इसके भयंकर परिणाम सामने आ सकते हैं। यह रिपोर्ट जर्नल क्लाइमेटिक चेंज में छपी है।
1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखें ग्लोबल वार्मिंग
रिपोर्ट में हालांकि, कहा गया है कि यदि दुनिया जलवाय परिवर्तन पर पेरिस समझौते को पूरी तरह से अपना लेती है और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य को प्राप्त कर लेती है तो हिमालय पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा करने से भारत में कृषि भूमि पर सूखे का जोखिम 21 फीसदी तक कम और बाढ़ से होने वाला नुकसान कम हो जाएगा।
रिसर्च में आठ अध्ययन को शामिल
यूनिवर्सिटी ऑफ इस्ट एंग्लिया (UEA) के शोधकर्ताओं की टीम हिमालय क्षेत्र के जलवायु पर नई जानकारियां सामने लेकर आई है। इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन की वजह से पूरे हिमालयी क्षेत्र के मानव एवं प्राकृतिक व्यवस्था पर बढ़ते खतरों के बारे में चेताया गया है। इस रिसर्च में आठ अध्ययन को शामिल किया गया है। शोधकर्ताओं ने भारत, ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया और घाना में रिसर्च किया।
90 फीसदी हिस्से को सूखे का सामना करना पड़ेगा
रिपोर्ट की सबसे ज्यादा चिंतित करने वाली बात हिमालय को लेकर कही गई है। इसमें कहा गया है कि दुनिया का तापमान यदि तीन डिग्री सेल्सियस और बढ़ा तो हिमालय के करीब 90 फीसदी हिस्से को सूखे का सामना करना पड़ेगा और यह सूखा एक साल से ज्यादा समय तक रह सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि तीन डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने पर सूखे के दायरे में कृषि भूमि का बड़ा हिस्सा आएगा। यही नहीं इन देशों का 50 फीसदी से ज्यादा कृषि भूमि भयंकर सूखे के चपेट में आ सकता है और इसका असर 30 साल तक देखने को मिल सकता है।
...तो दुनिया भर में बाढ़ का खतरा कम होगा
रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग में यदि कमी लाई जाती है तो दुनिया भर में बाढ़ का खतरा कम होगा और इससे अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से बचा जा सकेगा। जाहिर है कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से तटवर्ती देशों का समुद्र स्तर बढ़ जाता है और इससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। इस रिपोर्ट में भी यही बात कही गई है।
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