हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कौन सी उम्र मां बनने के लिए सही, महिला कार्यकर्ता बोलीं- मोरल पोलिसिंग ना करें
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि औरतौं को ना तो उचित समय से पहले और ना उसके बाद मां बनना चाहिए। उनके इस सुझाव पर महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अभी बहुत से ऐसे विषय हैं जिस पर सीएम महोदय को काम करना चाहिए।
हिमंता बिस्वा सरमा, असम के सीएम
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि औरतों को उचित समय पर मां बन जाना चाहिए। उनके इस बयान पर महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ऐतराज जताते हुए कहा कि बोलने के लिए बहुत से विषय हैं, अच्छा होता कि वो इस विषय की जगह उन मुद्दों पर राय रखते। यह मोरल पोलिसिंग सही नहीं है। सरमा ने कहा कि मां बनने के लिए उचित समय 22 से 30 वर्ष के बीच है। गुवाहाटी में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि अगर कोई महिला इसका पालन करती है तो वो उसके और बच्चे दोनों की भलाई के लिए होगा। इसके साथ ही कहा कि ऐसी महिलाएं जिनकी उम्र 30 के करीब है उन्हें तो जल्द से जल्द शादी कर लेनी चाहिए।
उचित समय पर मां बनना जरूरी
मातृत्व मृत्यू दर में कमी विषय पर हिमंता बिस्वा सरमा अपमी राय रख रहे थे। उनके मुताबित उचित समय से पहले शादी और बच्चों का पैदा होना ही एमएमआर के पीछे एक बड़ी वजह है। इसकी वजह से मां और नवजात बच्चे दोनों काल के गाल में समा जाते हैं। नाबालिग लड़कियों की शादी रोकने के लिए सरकार की तरफ से कई कदम उठाए गए हैं। लेकिन उनकी सलाह है कि महिलाएं 30 साल से पहले मां बने। ज्यादा उम्र में भी प्रेग्नेंसी के कई खतरे हैं।
नाबालिग से शादी करने पर पोस्को के तहत केस
सरमा ने कहा कि वो समयपूर्व मां बनने के खिलाफ अपनी बात रख रहे हैं। लेकिन जिस तरह से ज्यादातर लोग 30 साल से अधिक की उम्र में मां बनने के बारे में सोच रहे हैं उन्हें सोचना चाहिए। भगवान ने हमारी शरीर का निर्माण ही इस तरह से किया है ताकि हर काम सही समय पर हो। पिछले हफ्ते असम सरकार ने फैसला किया कि जो मर्द 14 साल के कम उम्र की लड़कियों के साथ शादी रचाएंगे उनके खिलाफ पोस्को में केस दर्ज किया जाएगा। और जो लोग 14-18 उम्र समूह में शादी करेंगे उनके खिलाफ प्रॉहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 के तहत केस चलाया जाएगा।
महिला कार्यकर्ताओं को ऐतराज
महिला कार्यकर्ताओं ने ऐतराज जताते हुए कहा कि इस तरह की महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हुए लोगों को कम से कम दो बार सोचना चाहिए कि वो क्या बोल रहे हैं। असम के सीएम का बयान मोरल पोलिसिंग की तरह है, यही नहीं इसकी वजह से देश के मानव संसाधन पर असर पड़ेगा। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि इस तरह की बात से बेहतर है कि पहले सेक्स एजुकेशन और महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा पर विचार रखा जाए। राज्य के दिशानिर्देशों से बेहतर होगा कि महिलाएं खुद फैसला करें कि उन्हें कब मां बनना चाहिए।
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