NGT ने यूपी के मुख्य सचिव को जारी किया नोटिस, हिंडन नदी के प्रदूषण पर मांगा जवाब
Hindon River Pollution: हिंडन नदी प्रदूषण को लेकर एनजीटी ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और अन्य को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने कहा कि बच्चे इन प्रदूषकों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, उन्हें धातु के संपर्क में आने तथा निगलने के कारण होने वाले जोखिम का अधिक सामना करना पड़ता है।
फाइल फोटो।
NGT Issues Notice to UP chief secretary: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हिंडन नदी के प्रदूषण को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। एनजीटी एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने नदी में प्रदूषण के बारे में मीडिया में आई खबर पर स्वतः संज्ञान लिया था। खबर में कहा गया था कि औद्योगिक अपशिष्ट बहाए जाने और जलमल शोधन सुविधाओं की कमी के कारण नदी में प्रदूषण हो रहा है।
नदी के प्रदूषण की गंभीरता पर पीठ ने क्या कुछ कहा?
अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 27 नवंबर के अपने आदेश में कहा, ‘‘सहारनपुर में शिवालिक की पहाड़ियों से निकलने वाली और राज्य के सात जिलों से होकर बहने वाली 400 किलोमीटर लंबी वर्षा आधारित नदी अपने किनारे बसे 1.9 करोड़ लोगों की मदद करती है। लेकिन, नदी में जहरीली स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें 357 औद्योगिक इकाइयों से प्रतिदिन 72,170 किलोलीटर (केएलडी) औद्योगिक अपशिष्ट और प्रतिदिन 94.30 करोड़ लीटर (एमएलडी) घरेलू जलमल बहता है।’’
पीठ ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि प्रदूषण की गंभीरता नदी में लगातार खराब हो रही जल गुणवत्ता से परिलक्षित होती है। एनजीटी की पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी भी शामिल थे। एनजीटी ने कहा, ‘‘इसके अलावा, यह खबर नदी प्रदूषण के गंभीर प्रभावों पर भी प्रकाश डालती है। उदाहरण के लिए, नदी के किनारे बसे समुदायों में कैंसर, लिवर संबंधी समस्या, त्वचा संक्रमण, पीलिया, दांतों संबंधी समस्या और गुर्दे की पथरी के मामले बहुत अधिक हैं।’’
पानी में भारी धातुओं की खतरनाक स्तर पर मौजूदगी का खुलासा
इसने कहा कि रिपोर्ट में पर्यावरण संबंधी अध्ययनों का हवाला दिया गया है, जिसमें पानी में भारी धातुओं की खतरनाक स्तर पर मौजूदगी का खुलासा हुआ है। पीठ ने कहा कि इसमें सीसा (तय सीमा से 179 गुना अधिक), कैडमियम (तय सीमा से नौ गुना अधिक) और क्रोमियम (तय सीमा से 123 गुना अधिक) शामिल हैं। एनजीटी ने कहा कि बच्चे इन प्रदूषकों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, उन्हें धातु के संपर्क में आने तथा निगलने के कारण होने वाले जोखिम का अधिक सामना करना पड़ता है।
इसने कहा, ‘‘यह मामला जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का संकेत देता है। मीडिया रिपोर्ट में पर्यावरण संबंधी मानदंडों के अनुपालन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।’’ इसमें राज्य के मुख्य सचिव, केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पक्षकार या प्रतिवादी बनाया गया, जिन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
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