सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, राज्यों को खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार, इन प्रदेशों को होगा फायदा

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लाभ फायदा होगा। जानिए क्या है पूरा मामला।

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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court on Mineral Tax: सुप्रीम कोर्ट में खनिज समृद्ध राज्यों की बड़ी जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है कि राज्यों को खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का अधिकार है। 9 न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की क्षमता और शक्ति है।

इन राज्यों को होगा फायदा

इस फैसले से ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को लाभ फायदा होगा। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संविधान पीठ ने व्यवस्था दी कि खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कर नहीं है। प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने इस बात पर असहमतिपूर्ण फैसला दिया है कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कर है या नहीं।

संसद नहीं, राज्यों को अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से दिए गए फैसले में कहा कि संसद के पास, संविधान के प्रावधानों के तहत खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। अदालत के बहुमत वाले फैसले में कहा गया है कि संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है ।

फैसले में क्या कहा

सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अपने और पीठ के सात न्यायाधीशों के फैसले को पढ़ा जिसमें कहा गया कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि 50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर कर लगाने की शक्ति नहीं है। बहुमत के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्ष 1989 में सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा दिया गया वह फैसला सही नहीं है जिसमें कहा गया था कि खनिजों पर रॉयल्टी कर है।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पीठ ने दो अलग-अलग फैसले दिए हैं और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण फैसला दिया है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार नहीं है। प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति नागरत्ना के अलावा पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह हैं। पीठ ने इन विवादास्पद मुद्दे पर फैसला सुनाया कि क्या खनिजों पर देय रॉयल्टी खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 के तहत कर है। क्या केवल केंद्र को ही ऐसा कर लेने का अधिकार है या राज्यों को भी अपने क्षेत्र में खनिज युक्त भूमि पर कर लेने का अधिकार है।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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