काशी ऐसे नहीं है दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक, 3000 साल से ज्यादा पुराना है इतिहास
Importance of Kashi: काशी की तुलना दुनिया के सबसे पुराने शहरों के साथ की जाती है। भगवान शिव की नगरी के रूप में प्रसिद्ध काशी वैसे तो सनातन धर्म के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन इसके अलावा काशी का बौद्ध और जैन धर्म के मतावलंबियों से भी नाता है।
- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने काशी के सारनाथ में ही पहला उपदेश दिया था।
- जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का काशी में जन्म हुआ था।
- काशी भारत के सबसे पुराने महाजनपदों में से भी एक है।
3000 से 5000 साल पुराना शहर
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा काशी या वाराणसी के इतिहास के बारे में लिखा गया है कि इसका 3000 साल पुराना इतिहास है। शहरों के बसावट के अनुसार काशी का दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में स्थान है। हालांकि कुछ विद्वान इसे 4000 साल पुराना तो कुछ इसे करीब 5000 साल पुराना मानते हैं। यह हिन्दुओं की पवित्र सप्तपुरियों में से एक है। इसके अलावा स्कन्द पुराण, रामायण, महाभारत और ऋग्वेद सहित कई हिन्दू ग्रन्थों में इसका उल्लेख मिलता है। चीनी यात्री ह्वेनत्सांग ने भी काशी की प्रशंसा करते हुए, उसे धार्मिक, शैक्षणिक एवं कलात्मक गतिविधियों का केन्द्र बताया है और इसका विस्तार गंगा नदी के किनारे 5 किलोमीटर तक बताया है। जो कि 5 वीं सदी में भारत आए थे।
दुनिया के इन शहरों के समकक्ष है काशी
काशी की तुलना दुनिया के सबसे पुराने शहरों के साथ की जाती है। आधुनिक सीरिया की राजधानी दमास्कस को 9000 ईसा पूर्व का माना जाता है। इसी तरह लेबनान के बाइब्लोस शहर के साक्ष्य 7000 ईसा पूर्व से पुराने माने जाते हैं। इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर में भी शामिल किया गया है। इसके अलावा ईरान का सुसा शहर भी दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है। इसे करीब 6000 साल पुराना माना जाता है। बुल्गारिया का प्लोवदीव शहर भी इसी अवधि का माना जाता है।
इन धर्मों से सीधा नाता
भगवान शिव की नगरी के रूप में प्रसिद्ध काशी वैसे तो सनातन धर्म के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन इसके अलावा काशी का बौद्ध और जैन धर्म के मतावलंबियों से भी नाता है। बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध ने काशी के सारनाथ में ही पहला उपदेश दिया था। इसी तरह जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का भी काशी में ही जन्म हुआ था। इसके अलावा काशी संत कबीर, रविदास, गोस्वामी तुलसीदास, वल्लभाचार्य, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी आदि की भी कर्म स्थली रही है।
स्कंद पुराण में काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र
हिंदू परंपरा के अनुसार काशी को भगवान शंकर की नगरी कहा जाता है। रिपोर्ट्स के अनुसार उनके मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण में भी है। और बाद में इंदौर की माहारानी अहिल्या बाई होल्कर ने 1770-1780 में काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराया। और बाद में 1000 किलोग्राम सोने का दान महाराजा रणजीत सिंह ने दिया था। जो कि मंदिर के ऊपरी हिस्से में लगा हुआ है।
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