450 साल पहले शुरू हुई थी रामलीला, भारत ही नहीं दुनिया के इन देशों में भी लोकप्रिय
महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण ,भगवान राम पर लिखा गया पहला महाकाव्य है। इसे संस्कृत में लिखा गया था। इसके बाद अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास ने सोलहवी शताब्दी में रामचरित मानस की रचना की। देश के विभिन्न इलाकों में रामलीला को कलाकार, अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत करते हैं।
रामलीला प्रस्तुत करते हुए कलाकाक
मुख्य बातें
- मेघा भगत ने आज से करीब 450 साल पहले वाराणसी के रामनगर में पहली बार रामलीला का मंचन किया ।
- मूक अभिनय से लेकर गायन और मंडलियों के जरिए रामलीला की प्रस्तुति की जाती है।
- रामलीला का भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में मंचन किया जाता है।
History of Ramlila: शारदीय नवरात्र (Navratri) में देवी दुर्गा (Devi Durga) की पूजा के साथ-साथ रामलीला का भी महत्व है। और लोकप्रियता का आलम यह है कि रामलीला भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि रामलीला का आयोजन आज से करीब 450 साल पहले किया गया था और उसके बाद से यह देश और दुनिया में लोकप्रिय होती चली गई। और इसका कई रूपों में मंचन होता है। जिसमे मूक अभिनय से लेकर गायन और मंडलियों के जरिए रामलीला की प्रस्तुति की जाती है।
रामलीला का मंचन कब शुरू हुआ
महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण (Ramayan),भगवान राम (Ram) पर लिखा गया पहला महाकाव्य है। इसे संस्कृत में लिखा गया था। इसके बाद अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) ने सोलहवी शताब्दी में रामचरित मानस (Ramcharit Manas) की रचना की। तुलसीदास द्वारा लिखी रामचनित मानस से भगवान राम की कहानी, जन-जन तक लोकप्रिय हो गई और ऐसा मान्यता है कि उनके शिष्य मेघा भगत ने पहली बार रामलीला का मंचन किया। अयोध्या शोध संस्थान के अनुसार रामचरित मानस की रचना प्ररम्भ करने के उपरान्त गोस्वामी तुलसीदास जी काशी गये और वही पर निवास करने लगें। और उनके शिष्य मेघा भगत ने आज से करीब 450 साल पहले वाराणसी के रामनगर (Ramnagar Ramlila) में पहली बार मंचन किया जो रामचरितमानस पर आधारित थी। कहा जाता है कि उस समय के काशी नरेश ने गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस को पूरा करने के बाद रामनगर में रामलीला कराने का संकल्प लिया था। तभी से देशभर में रामलीला का प्रचलन शुरू हुआ।
रामलीला की प्रस्तुति के अलग-अलग रूप
देश के विभिन्न इलाकों में रामलीला को कलाकार, अलग-अलग रूपों में प्रस्तुत करते हैं। इसमें एक तरीका मूक अभिनय का भी है। इसमें रामलीला का सूत्रधार रामचरित मानस की चौपाइयां और दोहे गाकर सुनाता है और दूसरे कलाकार बिना कुछ बोले रामायण की प्रमुख घटनाओं का मंचन करते हैं। इलाहाबाद, ग्वालियर आदि में मूक अभिनय शैली में रामलीला का मंचन होता है।
इसके अलावा उत्तराखंड के अल्मोड़ा और कुमायूं जिले में रामलीला को गायन शैली में प्रस्तुत किया जाता है। इसी तरह मंडलियां भी रामलीला की प्रस्तुति करती हैं। इसमें पेशेवर कलाकार होते हैं, जो रामलीला का मंचन करते हैं। स्टेज पर रामचरित मानस की स्थापना करके भगवान की वंदना करते हैं। इसमें सूत्रधार को व्यास कहा जाता है। वह रामलीला के पहले दिन की कथा सुनाता है और आगे होने वाली रामलीला का सार गाकर सुनाता है।
भारत की प्रमुख रामलीलाएं
1. रामनगर
2.अयोध्या
3.लखनऊ
4.कुमाऊं
5.मैसूर
6.दिल्ली
इन देशों में भी होती है रामलीला
रामलीला का भारत के अलावा दुनिया के कई देशों में मंचन किया जाता है। अयोध्या शोध संस्थान की वेबसाइट के अनुसार भारत के अलावा रामलीला इन देशों में भी आयोजित की जाती है..
1.बांग्लादेश
2.इंडोनेशिया
3.रूस
4.श्रीलंका
5.थाइलैंड
6.फिजी
7.त्रिनिदाद
8.मॉरीशस
9.नेपाल
10.सूरीनाम
11.मलेशिया आदि में रामलीला का आयोजन किया जाता रहा है।
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