वोटर लिस्ट से जुड़ेगा जन्म-मृत्यु का आंकड़ा, विधेयक लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
Birth and Death Data Link With Electoral Rolls: सरकार जन्म और मृत्यु से जुड़े आंकड़ों को मतदाता सूची और समग्र विकास प्रक्रिया से जोड़ने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है। यह बात सोवमार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम के दौरान कही।
अमित शाह
Birth and Death Data Link With Electoral Rolls: केंद्र सरकार मतदाता सूची और अन्य डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में जन्म और मृत्यु के आंकड़े जोड़ने पर विचार कर रही है। इस बात के संकेत केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिए हैं। उन्होंने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार जन्म और मृत्यु से जुड़े आंकड़ों को मतदाता सूची और समग्र विकास प्रक्रिया से जोड़ने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है।
दरअसल, अमित शाह ने यह बात भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त के कार्यालय 'जनगणना भवन' का उद्घाटन करते हुए कही। उन्होंने कहा, जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है जो विकास के एजेंडे का आधार बन सकती है।
सटीक जनगणना से होगा काफी लाभ
अमित शाह ने इस दौरान कहा कि पूरी तरह से डिजिटल और सटीक जनगणना के आंकड़ों के बहुआयामी लाभ होंगे। उन्होंने कहा, इस तरह की जनगणना से यह सुनिश्चित होगा कि विकास योजनाएं गरीबों तक पहुंचें। उन्होंने आगे कहा, अगर जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के आंकड़ों को विशेष तरीके से संरक्षित किया जाए तो विकास कार्यों की समुचित योजना बनाई जा सकती है।
18 साल के होते ही वोटर लिस्ट में जुड़ेगा नाम
अमित शाह ने कहा, जन्म और मृत्यु के आंकड़ों को मतदाता सूची में जोड़ने से जब व्यक्ति 18 साल का होगा, तो उसका नाम स्वयं ही वोटर लिस्ट में जुड़ जाएगा। वहीं, व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसका नाम खुद ही चुनाव आयोग के पास पहुंच जाएगा, जिससे आयोग व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगा।
पहले टुकड़ों में पूरी होती थी विकास प्रकिया
अमित शाह ने कहा, पहले विकास की प्रक्रिया टुकड़ों में पूरी होती थी, क्योंकि विकास के लिए आंकड़े पर्याप्त नहीं थे। उन्होंने कहा, आजादी के 70 साल बाद देश के हर गांव में बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने की योजना अपनाई गई है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि इन सुविधाओं को पहुंचाने के लिए कितने पैसे की आवश्यकता होगी, क्योंकि तब जनगणना की उपयोगिता की कल्पना ही नहीं की गई थी।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author
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