गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई के दिए निर्देश, RSS चीफ ने जताई थी 'चिंता'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की गौर हो कि 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी, शाह ने मणिपुर में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को मणिपुर में सुरक्षा हालात की समीक्षा की, बताते हैं कि शाह ने मणिपुर में हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए वहीं गृह मंत्रालय मणिपुर में जातीय विभाजन को पाटने के लिए जल्द से जल्द मेइती और कुकी दोनों से बात करेगा गौर हो कि मणिपुर में एक साल से अधिक समय से जातीय हिंसा का माहौल है।
गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा की ताजा घटनाओं के मद्देनजर जातीय हिंसा प्रभावित मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की, सूत्रों ने बताया कि उच्च स्तरीय बैठक में शाह को शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने राज्य की मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी दी।राज्य की राज्यपाल अनुसुइया उइके से यहां मुलाकात के एक दिन बाद गृह मंत्री ने मणिपुर की स्थिति का जायजा लिया। माना जा रहा है कि उइके ने उन्हें वहां की कानून-व्यवस्था की स्थिति से अवगत कराया था।
हाल ही में राजधानी इंफाल और जिरीबाम में ताजा हिंसा की खबरें आई थीं। सूत्रों ने बताया कि केंद्र जिरीबाम जैसे नए इलाकों में फैल रही हिंसा को लेकर चिंतित है, जो पिछले एक साल से काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।बैठक के दौरान मणिपुर सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा कि जिन इलाकों में ताजा हिंसा की सूचना मिली है, वहां पर्याप्त बल तैनात किए गए हैं।
3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी
बैठक में राज्य सरकार की ओर से मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, पुलिस महानिदेशक राजीव सिंह और मुख्य सचिव विनीत जोशी शामिल हुए। लेकिन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह बैठक में मौजूद नहीं थे।घंटे भर चली बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक तपन डेका, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, भावी सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के बाद 3 मई, 2023 को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़क उठी थी।
'मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है'
तब से जारी हिंसा में कुकी और मेइती समुदायों तथा सुरक्षा बलों के 220 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने 10 जून को मणिपुर में एक साल के बाद भी शांति नहीं कायम होने पर चिंता जताई थी। भागवत ने नागपुर में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा, 'मणिपुर पिछले एक साल से शांति स्थापित होने की प्रतीक्षा कर रहा है। दस साल पहले मणिपुर में शांति थी। ऐसा लगा था कि वहां बंदूक संस्कृति खत्म हो गई है, लेकिन राज्य में अचानक हिंसा बढ़ गई है।'
' मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं'
उन्होंने कहा, 'मणिपुर की स्थिति पर प्राथमिकता के साथ विचार करना होगा। चुनावी बयानबाजी से ऊपर उठकर राष्ट्र के सामने मौजूद समस्याओं पर ध्यान देने की जरूरत है।' आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अशांति या तो भड़की या भड़काई गई, लेकिन मणिपुर जल रहा है और लोग इसकी तपिश का सामना कर रहे हैं।
मार्च के दौरान ही दोनों गुट आमने-सामने आ गए थे
मणिपुर में पिछले साल 3 मई को उस समय हिंसा भड़क उठी थी जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था, इस मार्च के दौरान ही दोनों गुट आमने-सामने आ गए थे और हिंसा भड़क उठी थी।
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विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा किया था
राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मणिपुर का दौरा भी किया था, इसमें कुल 21 सांसद शामिल थे, प्रतिनिधिमंडल में शामिल अलग-अलग दलों के नेता राज्य के अलग-अलग हिस्सों में गए थे और हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की थी, इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी।
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