जम्मू और कश्मीर में चुनाव की आहट, इन दांव से अमित शाह मोदी का मिशन कर पाएंगे पूरा !
BJP Mission Kashmir: करीब 35 साल बाद किसी केंद्रीय मंत्री ने कश्मीर के बारामूला में रैली की । रैली के जरिए अमित शाह यह संदेश देना चाह रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में हालात सामान्य हुए है। रैली में पहुंची भीड़ और अमित शाह का बुलेट प्रूफ शील्ड हटाकर भाषण देना कई संदेश दे गया।
- अमित शाह ने कश्मीर घाटी में पकड़ मजबूत करने के लिए आरक्षण का दांव भी चल दिया है।
- राज्य में विधानसभा सीटों की 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई हैं।
- राज्य में अब वह सभी लोग अपना वोट डाल सकेंगे, जो वहां पर बाहर से आकर बस गए हैं और उनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं है।
35 साल बाद बारामूला में कोई केंद्रीय मंत्री
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अमित शाह के इस दौरे की खास बात यह रही है कि करीब 35 साल बाद किसी केंद्रीय मंत्री ने कश्मीर के बारामूला में रैली की थी। इस रैली के जरिए अमित शाह यह संदेश देना चाह रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में हालात सामान्य हुए है। रैली में पहुंची भीड़ और अमित शाह का बुलेट प्रूफ शील्ड हटाकर भाषण देना कई कहानी कह रहा था। बारामूला में अमित शाह की रैली इसलिए भी खास रही क्योंकि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी,संसद हमले का दोषी अफजल गुरू का यहां से संबंध रहा है हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर अहसान डार भी बारामूला से रहा है।
आरक्षण का दांव
अमित शाह ने भाजपा की कश्मीर घाटी में पकड़ मजबूत करने के लिए आरक्षण का दांव भी चल दिया है। उन्होंने एक रैली में ऐलान किया कि जी.डी.शर्मा कमीशन की सिफारिशों को मानते हुए पहाड़ी समुदाय को जल्द ही एसटी कैटेगरी के तहक आरक्षण दिया जाएगा। अभी गुर्जर और बकरवाल समुदाय को आरक्षण मिल रहा था। राज्य के राजौरी, बारामुला, पुंछ, हंदवाड़ा, अनंतनाग, जैसे इलाकों में पहाड़ी समुदाय की बड़ी आबादी है। अनुमान के मुताबिक राज्य में पहाड़ियों की करीब 6 लाख आबादी है, जिनमें 55 फीसदी हिंदू और 45 फीसदी मुस्लिम हैं। पहाड़ियों को आरक्षण मिलने से भाजपा कश्मीर घाटी में अपने खाता खोल सकती है।
केंद्रीय योजनाओं पर भरोसा
अमित शाह के भाषण में उज्जवला योजना का जिक्र इस बात को दर्शाता है कि भाजपा दूसरे राज्यों की तरह जम्मू और कश्मीर में भी लाभार्थी वर्ग को लुभाना चाहती है। इसी तरह प्रधानमंत्री आवास योजना और दूसरी केंद्रीय योजनाओं के जरिए भाजपा बड़ा राजनीतिक फायदा उठाना चाह रही है। इसके साथ ही राज्य में अब वह सभी लोग अपना वोट डाल सकेंगे, जो वहां पर बाहर से आकर बस गए हैं और उनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट (निवास प्रमाण पत्र) नहीं है। सरकार के इस फैसले और नई वोटर लिस्ट बनाने की प्रक्रिया से करीब 25 लाख नए वोटर जुड़ने का अनुमान है। इस समय जम्मू और कश्मीर में 76 लाख वोटर हैं।
साल | मारे गए आतंकवादी |
2014 | 114 |
2015 | 115 |
2016 | 165 |
2017 | 220 |
2018 | 271 |
2019 | 163 |
2020 | 232 |
2021 | 193 |
2022 | 160 (अगस्त) |
विधान सभा में 7 सीटें बढ़ी
जम्मू-कश्मीर में इस बार जब चुनाव होंगे तो वह परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर तय की गई नई सीटों के आधार पर होंगे। इसके तहत राज्य में विधानसभा सीटों की 83 से बढ़ाकर 90 हो गई है। इनमें में 43 सीटें जम्मू में होंगी, जबकि 47 सीटें कश्मीर में होंगी। अभी तक 36 सीटें जम्मू में थी और कश्मीर में 46 सीटें थी। इन 90 सीटों में से 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित करने का भी प्रावधान किया गया है। जबकि 7 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है।
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