जम्मू और कश्मीर में चुनाव की आहट, इन दांव से अमित शाह मोदी का मिशन कर पाएंगे पूरा !

BJP Mission Kashmir: करीब 35 साल बाद किसी केंद्रीय मंत्री ने कश्मीर के बारामूला में रैली की । रैली के जरिए अमित शाह यह संदेश देना चाह रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में हालात सामान्य हुए है। रैली में पहुंची भीड़ और अमित शाह का बुलेट प्रूफ शील्ड हटाकर भाषण देना कई संदेश दे गया।

मुख्य बातें
  • अमित शाह ने कश्मीर घाटी में पकड़ मजबूत करने के लिए आरक्षण का दांव भी चल दिया है।
  • राज्य में विधानसभा सीटों की 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई हैं।
  • राज्य में अब वह सभी लोग अपना वोट डाल सकेंगे, जो वहां पर बाहर से आकर बस गए हैं और उनके पास डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं है।

BJP Mission Kashmir: गृह मंत्री अमित शाह अपने 3 दिन के जम्मू और कश्मीर के दौरे से वापस लौट आए हैं। लेकिन ये 3 दिन का दौरा कश्मीर की राजनीति पर आने वाले समय पर बड़ा असर डालने वाला है। वजह यह है कि अमित शाह ने इस दौरान इस बात का वादा कर दिया है कि राज्य में वोटर लिस्ट तैयार करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव कराए जाएंगे। यानी साल 2023 में जम्मू और कश्मीर में चुनाव होने तय हैं। और संभावना है कि चुनाव अप्रैल-मई की गर्मियों में कराएं जाय। चुनाव की आहट को देखते हुए अमित शाह ने आरक्षण का भी दांव चल दिया है। इसके तहत उन्होंने पहाड़ी समुदाय को जल्द आरक्षण देने का एलान कर दिया है। जाहिर है जम्मू-कश्मीर में आने वाली गर्मी में राजनीतिक तपस भी नजर आएगी।

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35 साल बाद बारामूला में कोई केंद्रीय मंत्री

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अमित शाह के इस दौरे की खास बात यह रही है कि करीब 35 साल बाद किसी केंद्रीय मंत्री ने कश्मीर के बारामूला में रैली की थी। इस रैली के जरिए अमित शाह यह संदेश देना चाह रहे थे कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में हालात सामान्य हुए है। रैली में पहुंची भीड़ और अमित शाह का बुलेट प्रूफ शील्ड हटाकर भाषण देना कई कहानी कह रहा था। बारामूला में अमित शाह की रैली इसलिए भी खास रही क्योंकि हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी,संसद हमले का दोषी अफजल गुरू का यहां से संबंध रहा है हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर अहसान डार भी बारामूला से रहा है।

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