आप भारत को कैसे कर सकते हैं नजरंदाज, पीएम मोदी ने यूएन में स्थायी सदस्यता पर दिया जोर
United Nations Permanent Membership:पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के स्थाई सदस्यता की पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि आखिर बदलते समय के साथ भारत को कैसे नजरंदाज किया जा सकता है।
पीएम मोदी ने यूएन में स्थायी सदस्यता की वकालत की
United Nations Permanent Membership: पेरिस के लिए रवाना होने से पहले पीएम मोदी(narendra modi france visit) ने फ्रेंच मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि आखिर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का यूएन की स्थायी सदस्यता से कब तक वंचित रख सरकते हैं। उन्होंने स्थाई सदस्यता की जबरदस्त वकालत की। पीएम मोदी ने कहा कि मुद्दा सिर्फ विश्वसनीयता का नहीं बल्कि उससे बडा है। आखिरकार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद बिना भारत को स्थाई सदस्यता दुनिया के बारे में कोई दावा कर सकता है। सच यह है कि बदलते वक्त के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ ने बदलाव नहीं किया है।इसकी विषम सदस्यता की वजह से निर्णय लेने की प्रक्रिया अपारदर्शी हो जाती है, जो आज की चुनौतियों से निपटने में इसकी असहायता को बढ़ा देती है। मुझे लगता है कि अधिकांश देश इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि वे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में क्या बदलाव देखना चाहते हैं जिसमें भारत की भूमिका भी शामिल है।
फ्रांस भी भारत के समर्थन में
पीएम मोदी ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने भी इस विचार को साझा किया ।दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में अद्वितीय सामाजिक और आर्थिक विविधता के साथ हमारी सफलता यह प्रदर्शित करेगी कि लोकतंत्र उद्धार करता है। विविधता के बीच सद्भाव का अस्तित्व संभव है। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में समायोजन की स्वाभाविक अपेक्षा है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को उचित स्थान देने के लिए संस्था को आगे आने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण और पश्चिम के बीच एक पुल के रूप में भारत की भूमिका पर भी जोर दिया।ग्लोबल साउथ के अधिकारों को लंबे समय से अस्वीकार कर दिया गया है। ग्लोबल साउथ के सदस्यों में पीड़ा की भावना है कि उन्हें कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया जाता है, लेकिन जब निर्णय लेने की बात आती है तो उन्हें जगह नहीं मिलती है या अपने लिए आवाज उठाएं। वैश्विक दक्षिण में लोकतंत्र की सच्ची भावना का सम्मान नहीं किया गया है।
युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं
पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अक्सर कही गई अपनी टिप्पणी के बारे में भी विस्तार से बताया कि आज युद्ध का युग नहीं है।उन्होंने दुनिया, विशेषकर ग्लोबल साउथ पर इसके प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा संघर्ष अवश्य ख़त्म होना चाहिए। भारत का रुख स्पष्ट, पारदर्शी और सुसंगत रहा है। मैंने कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। हमने दोनों पक्षों से बातचीत और कूटनीति के माध्यम से मुद्दों को हल करने का आग्रह किया है। मैंने उनसे कहा कि भारत सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है।इस संघर्ष को समाप्त करने में मदद करें। हमारा मानना है कि सभी देशों का दायित्व है कि वे अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करें और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का पालन करें।
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