राजस्थान के सियासी संकट को कैसे सुलझाएगी लीडरशिप, इनसाइड स्टोरी
Rajasthan congress Political Crisis: 11अप्रैल को सचिन पायलट वैसे तो वसुंधरा राजे सिंधिया के भ्रष्टाचार की जांच ना होने के मुद्दे पर उपवास पर थे, हालांकि इसे अशोक गहलोत खेमे ने पार्टी और सरकार दोनों के लिए चुनौती के तौर पर देखा था।
अशोक गहलोत और सचिन पायलट में अनबन का पुराना इतिहास
- 11 अप्रैल को सचिन पायलट एक दिन के उपवास पर थे
- भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ना किए जाने पर अनशन
- गहलोत सरकार के मुताबिक चुनौती
Rajasthan congress Political Crisis: जयपुर में हुए सचिन पायलट (Sachin pilot fast) के अनशन से दिल्ली में खेमेबंदी शुरू हो गई है। आलम यह है कि सोनिया गांधी(Sonia gandhi) की अध्यक्षता में राजस्थान में हुई बगावत पर अभी भी कोई एक्शन नहीं हुआ है मगर उसे छोड़ राजस्थान के नए नवेले प्रभारी सुखजिंद्र रणधावा सचिन पायलट की अनुशासनहीनता पर कार्रवाई करने का नगाड़ा बजा रहे हैं। रंधावा साहब का कॉन्फिडेंस कहां से आ रहा है यह तो नहीं पता लेकिन उनका यह ऐलान कहीं ना कहीं पायलट के खिलाफ माहौल जरूर बना रहा है। और तो और रंधावा साहब राजस्थान पर अपनी रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपने से पहले ही खुद ही 24 घंटे के भीतर दो बार पायलेट के खिलाफ कार्यवाही करने की धमकी दे चुके हैं।
प्रियंका गांधी सक्रिय!
सूत्रों के मुताबिक प्रियंका गांधी वाड्रा(Priyanka gandhi vadra) राजस्थान मामले पर अपनी नज़र बनाए हुए हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने सचिन पायलट से बात की यही नहीं हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने भी सचिन पायलट क्या चाहते हैं यह जानने की कोशिश की। सचिन लगातार यह बात कह रहे हैं की उनका अनशन भाजपा सरकार के खिलाफ है और यह लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई है जो कांग्रेस लगातार लड़ती आई है।
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एकला चलो रे
सचिन पायलट के जाने ना जाने से पार्टी को क्या नुकसान या फायदा होगा इस पर अब माथापच्ची जा रहा है। दरअसल पार्टी का एक बड़ा धड़ा मानता है कि सचिन पायलट का कांग्रेस छोड़ना राजस्थान में पार्टी के लिए हानिकारक है। लेकिन अगर सचिन कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम ते हैं तो कांग्रेस को उतना नुकसान नहीं होगा। गहलोत की बात भी सही साबित हो जायेगी। मगर इसकी संभावना बेहद कम है। सचिन खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारेंगे। वह बड़ी सोच समझ कर भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन पर बैठे ऐसे में बीजेपी का दामन थामना उनके लिए ऑप्शन नहीं। मगर अगर सचिन पायलट एकला चलो रे के रास्ता चल पड़ते हैं तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
विरोधियों की नजरकांग्रेस के अंदरूनी कलह पर विरोधियों की भी नजर है। राजस्थान में आम आदमी पार्टी(aam adami party) के पास महत्वाकांक्षाए तो है लेकिन चेहरा नहीं । पायलट आम आदमी पार्टी के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं। उधर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल कांग्रेस के अंदरूनी कलह पर पैनी नजर रखे हुए है। सचिन के अनशन के बाद बेनीवाल ने एक बार फिर से को कई बार फिर से पायलट को आफर दिया । बेनीवाल यह उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सचिन पायलट अगर अलग होते हैं तो एक थप्पड़ तैयार हो सकता है जो बीजेपी और कांग्रेस को चुनौती दे। उनका मानना है कि लोग जहां कांग्रेस से निराश हैं वही वसुंधरा की भाजपा भी उनको रास नहीं आ रही।
भीषण अग्निपरीक्षा नेतृत्व के लिए राजस्थान की उलझन एक बड़ी अग्निपरीक्षा है। पायलट पार्टी अध्यक्ष खरगे , राहुल, और प्रियंका गांधी के अलावा किसी और से बात नहीं करना चाहते। पायलट खेमे को लगता है कि 24 अकबर रोड मे बैठे तमाम मठाधीश गहलोत की पैरोकार बने हुए हैं। गहलोत की लॉबिंग में तमाम पार्टी महासचिव और राज्यसभा सांसद लगे हुए हैं ऐसे में पायलट की कौन सुनने वाला है। पायलट पर मीडिया महासचिव जयराम रमेश का बयान तुरंत आया और रंधावा का लिखित स्टेटमेंट काफी कड़क था। इस मामले में अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक, पवन खेरा और कई दिग्गज नेता सक्रिय हो गए है और सबके सबके गहलोत की तरफदारी कर रहे हैं।दरअसल पार्टी को चलाने के लिए साधनों की कमी है और आने वाले विधान सभा चुनावों के लिए भी तैयारी करनी है। ऐसे में पार्टी के नेताओं को लगता है की इस चुनतीपूर्ण घड़ी में अनुभवी गहलोत पार्टी के लिए संकोमचक साबित हो सकते हैं।
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13 साल के राजनीतिक पत्रकारिता के अनुभव में मैंने राज्य की राजधानियों से लेकर देश की राजधानी तक सियासी हलचल को करीब से देखा है। प्लांट की गई बातें ख़बरे...और देखें
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