UPA से कितना अलग होगा मोदी सरकार का महिला आरक्षण बिल, 27 साल पहले हुआ था संसद में पेश
नुमान लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार राज्यसभा और विधान परिषदों को भी इसके दायरे में लाने का लक्ष्य रख सकती है। इसमें क्या-क्या प्रावधान हो सकते हैं जानिए।
महिला आरक्षण बिल पर नजर
Women Reservation Bill: ऐतिहासिक कदम के तहत नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसे बुधवार को संसद के विशेष सत्र में पारित करने के लिए लाने की तैयारी है। इसके पारित होने के बाद संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण को हरी झंडी मिल जाएगी। विधेयक के संसद के दोनों सदनों में आसानी से पारित होने की उम्मीद है। कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दल इसके समर्थन में हैं।
क्या मोदी सरकार का विधेयक यूपीए के विधेयक से एडवांस और कहीं अधिक व्यापक होगा जो 2010 में राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था? ऐसा माना जाता है कि मोदी सरकार 2010 के विधेयक को वापस ले सकती है क्योंकि यह अभी भी खत्म नहीं हुआ है और संसद के इस सत्र में एक नया विधेयक पेश करेगी।
हो सकते हैं नए प्रावधान
हालांकि बिल का अंतिम मसौदा सार्वजनिक होने के बाद ही चीजें सामने आएंगी, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि मोदी सरकार राज्यसभा और विधान परिषदों को भी इसके दायरे में लाने का लक्ष्य रख सकती है। यूपीए बिल केवल लोकसभा और विधानसभाओं में पेश किया जाना था। साथ ही नए बिल का लक्ष्य ओबीसी समुदाय को महिला आरक्षण के दायरे में लाने का हो सकता है। यूपीए बिल में कहा गया था कि एससी और एसटी के लिए आरक्षित सीटों में से एक तिहाई महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। हालांकि, सपा और राजद जैसी पार्टियां इस बात पर जोर देती रही हैं कि इसी आरक्षण में ओबीसी को भी शामिल किया जाना चाहिए। यह देखना बाकी है कि क्या मोदी सरकार ने उन्हें शामिल किया गया है।
पीएम मोदी ने कहा था, सत्र में ऐतिहासिक फैसले होंगे
संसद शुरू होने से पहले दिन में पीएम मोदी ने कहा था कि सत्र में ऐतिहासिक फैसले होंगे। अपने भाषण के दौरान उन्होंने बताया कि कैसे महिलाओं ने संसद में योगदान दिया था और कुल मिलाकर 7,500 से अधिक सदस्यों में से लगभग 600 महिला सांसद संसद के दोनों सदनों की सदस्य थीं। अभी कुल लोकसभा सांसदों में लगभग 15% महिलाएं हैं, जो निचले सदन में महिलाओं का अब तक का सबसे अधिक अनुपात है।
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