गजराज प्रणाली से कैसे बचेगी हाथियों की जान? कब आयेगी पहली बुलेट ट्रेन.. रेल मंत्री ने दी जानकारी

Indian Railway: रेल मंत्री ने बताया कि ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के साथ ही वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक ईजाद की गयी है। इसे असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु एवं उत्तराखंड में 700 किलोमीटर से अधिक रेलमार्ग पर लगाया जाएगा।

रेलवे ट्रैक पर लगेगी गजरात तकनीक

Indian Railway: देश के कुछ राज्यों में जहां पर हाथियों की संख्या काफी ज्यादा है और वहां से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर अक्सर हाथियों के झुंड देखे जाते हैं और कई बार ये हाथी हादसों का शिकार हो जाते है। रेलवे ने जंगलों से निकलने वाली रेललाइनों पर हाथियों के कट कर मरने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक विकसित की है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इस तकनीक से ट्रैक पर हाथियों के साथ होने वाले हादसों में कमी आएगी। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में हर साल ट्रेन की टक्कर से औसतन 20 हाथियों की मौत हो जाती है।

क्या है गजराज तकनीक ?

रेल मंत्री ने बताया कि ट्रेन सुरक्षा प्रणाली कवच के साथ ही वन क्षेत्रों में हाथियों को ट्रेन से कटने से बचाने के लिए एक नयी तकनीक ईजाद की गयी है और इसे असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, झारखंड, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु एवं उत्तराखंड में 700 किलोमीटर से अधिक रेलमार्ग पर यह तकनीक लगायी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह तकनीक ओएफसी लाइन में सेंसर के सहारे काम करेगी जो 200 दूर से हाथियों की पदचाप की तरंगों को पहचान करके इंजन में लोकोपायलट को अलार्म देख कर सतर्क कर देगी। "उन्होंने इस तकनीक का नाम गजराज रखने की बात कही"।

कई उपकरणों की एकीकृत तकनीक है कवच

रेल मंत्री ने कहा कि कवच दरअसल कई उपकरणों की एकीकृत तकनीक है। स्टेशन कवच, लोको कवच, कवच टावर्स, ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी), वायरलेस लोको टावर, ट्रैक उपकरण और सिगनल, कवच प्रणाली के अंतर्गत आते हैं। इस प्रणाली में सुरक्षा प्रणाली एवं संचार प्रणाली की दो अलग अलग लेयर रखीं गयीं हैं। उन्होंने कहा कि इस समय तीन कंपनियां – मेधा, एचबीएल और कार्नेक्स उत्पादन कर रहीं हैं जबकि जीजी ट्रॉनिक्स को हाल में मंजूरी दी गयी है। दो अन्य कंपनियों -क्योंसन एवं सीमेंस के प्रस्ताव विचाराधीन हैं।

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