Chandrayaan-2 से सस्ता कैसे रहा Chandrayaan-3, ISRO ने इस मून मिशन में लगाया कौन सा जुगाड़?
Chandrayaan-3: भारत ने चंद्रयान-3 को 615 करोड़ रुपये में तैयार किया है। यह कीमत 2019 में चांद पर भेजे गए चंद्रयान-2 से करीब 30 प्रतिशत कम है। ऐसे में जानते हैं इसरो के दोनों मून मिशन की कीमत में कितना अंतर था, भारत ने पहले मुकाबले सस्ता चंद्रयान-3 कैसे तैयार कर लिया, दोनों में क्या अंतर है?
Chandrayaan-3
Chandrayaan-3: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को अपने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया। श्रीहरिकोट स्थिति सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसने उड़ान भरी और प्रक्षेपण से ठीक 16 मिनट बाद चंद्रयान-3 रॉकेट से अलग हो गया। मिशन मून के तहत चांद पर भेजा गया चंद्रयान-3 पांच अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करेगा और 23 या 24 अगस्त को इसके चंद्रमा पर लैंड करने की संभावना है।
अगर भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में कामयाब हो जाता है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया में चौथा देश हो जाएगा। अभी तक सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस ही ऐसा करने में कामयाब रहे हैं। चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रयान चांद पर पानी व अन्य खनिज की खोज करेगा। बता दें, भारत ने चंद्रयान-3 को 615 करोड़ रुपये में तैयार किया है। यह कीमत 2019 में चांद पर भेजे गए चंद्रयान-2 से करीब 30 प्रतिशत कम है। ऐसे में जानते हैं इसरो के दोनों मून मिशन की कीमत में कितना अंतर था, भारत ने पहले मुकाबले सस्ता चंद्रयान-3 कैसे तैयार कर लिया, दोनों में क्या अंतर है?
चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 की कीमत में अंतर
चंद्रयान-2 मिशन की लागत 978 करोड़ रुपये थी, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर, नेविगेशन और ग्राउंड सपोर्ट नेटवर्क के लिए 603 करोड़ रुपये और जियो-स्टेशनरी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल के लिए 375 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जबकि, इसरो ने अपने तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 को इससे 30 प्रतिशत कम कीमत यानी सिर्फ 615 करोड़ रुपये में तैयार किया है। इसमें लैंडर रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल की कीमत करीब 250 करोड़ और लॉन्च सर्विस व अन्य खर्चे 365 करोड़ रुपये हैं।
कैसे तैयार हुआ इतना सस्ता चंद्रयान-3
चंद्रयान-2 जब लॉन्च हुआ था , तो कहा गया था कि इसकी कीमत एक हॉलीवुड फिल्म के बजट से भी कम है। हालांकि, चंद्रयान-3 की कीमत उससे भी कम यानी राजामौली की फिल्मों के बजट से भी कम है। जानकारी के मुताबिक, जब चंद्रयान-2 को भेजा गया था तो उसके तीन हिस्से थे, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर ओर रोवर शामिल था। चंद्रयान- 2 के ऑर्बिटर ने सफलता पूर्वक अपना काम किया था और वह अब भी चांद की कक्षा में घूम रहा है। इसी कारण चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर का प्रयोग नहीं किया गया। इससे इसकी लागत कम आई।
चांद पर क्या खोजेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान- 3 जांच पर पानी व अन्य खनिजों की तलाश करने गया है। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद 23 या 25 अगस्त को यह चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा। चंद्रयान से एक रोवर निकलेगा, जो चांद की सतह पर उतरेगा। इसके बाद यह चांद के लैंडिंग वाले हिस्से में खनिज व पानी की खोज करेगा।
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