पहियों वाला स्ट्रेचर, सुरंग में अस्पताल और चिनूक हेलीकॉप्टर... जानिए कैसे बाहर लाए जाएंगे मजदूर और सबसे पहले क्या होगा?
Silkyara Tunnel Rescue: पहियों वाला एक स्ट्रेचर तैयार किया गया है, जिसे पाइप के जरिए अंदर डाला जाएगा। इसके बाद इस स्ट्रेचर पर मजदूरों को लिटाया जाएगा ओर एनडीआरएफ की टीम इसे रस्सी के सहारे बाहर खींचेगी। आइए जानते हैं मजदूरों को बाहर निकालने के लिए क्या-क्या की गई हैं तैयारियां...
सिल्क्यारा टनल हादसा
Silkyara Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में है। रेस्क्यू टीम सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के करीब पहुंच गई है। ताजा अपडेट के मुताबिक 16 दिन से फंसे मजदूर कभी भी बाहर आ सकते हैं। मजदूरों को निकालने के लिए खुदाई पूरी हो चुकी है और 800 मिलीमीटर मोटा पाइप भी डाला जा चुका है। अब एनडीआरएफ की टीम सुरंग के अदंर पहुंचने की तैयारी कर रही है, जिसके बाद एक-एक कर 41 मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा।
हालांकि, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों की सबसे बड़ी चिंता बाहर निकलने के बाद मजदूरों की सेहत को लेकर है। बीते 16 दिन से फंसे हुए मजदूरों की सेहत और उनकी मनोस्थिति पर काफी प्रभाव पड़ा है, ऐसे में सरकार की पहली प्राथमिकता उन्हें तुरंत इलाज मुहैया कराना है। इसके लिए सुरंग के बाहर कई तरीके की तैयारियां की गई हैं। जरूरत पड़ने पर मजूदरों को एयरलिफ्ट भी किया जाएगा, इसके लिए सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर भी स्टैंडबाई पर है।
आइए जानते हैं 41 मजूदरों को निकालने के लिए क्या-क्या तैयारियां की गई हैं? सुरंग के अंदर से मजदूरों को कैसे बाहर लाया जाएगा? बाहर आने के बाद क्या होगा? और डॉक्टर किस चीज की जांच करेंगे...
तैयार किया गया पहियों वाला स्ट्रेचर
सुरंग के अदंर से मजदूरों को पाइप के जरिए बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए पहियों वाला एक स्ट्रेचर तैयार किया गया है, जिसे पाइप के जरिए अंदर डाला जाएगा। इसके बाद इस स्ट्रेचर पर मजदूरों को लिटाया जाएगा ओर एनडीआरएफ की टीम इसे रस्सी के सहारे बाहर खींचेगी और एक-एक कर मजदूर बाहर आना शुरू हो जाएंगे। जानकारी के मुताबिक, प्राथमिकता में पहले उन मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा, जिनकी हालत काफी खराब है। इसके लिए एनडीआरएफ ने मॉकड्रिल भी कर ली है। कहा गया है कि पाइप में काफी स्पेस है, जिससे सांस लेने में कोई तकलीफ न हो।
सुरंग के अदंर बनाया गया अस्थाई अस्पताल
मजदूरों की सेहत को ध्यान में रखते हुए सुरंग के अंदर ही एक अस्थाई अस्पताल भी बनाया गया है, जहां 8 बेड की व्यवस्था की गई है। बाहर निकलने वाले मजदूरों को इस अस्पताल में लाया जाएगा, जिसके बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम इन मजूदरों का मेडिकल चेकअप करेगी। इसके अलावा सुरंग के बाहर 41 एंबुलेंस भी मंगवा ली गई हैं, मेडिकल चेकअप के बाद इन्हें सीधे चिन्यालीसौड़ के कम्युनिटी हेल्थ सेंटर भेजा जाएगा, वहां 41 बेड का स्पेशल वार्ड तैयार किया गया है। मजदूरों को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर भी तैयार किया गया है। वहीं एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है, अगर किसी मजदूर की हालत ज्यादा खराब होती है तो उन्हें एयरलिफ्ट कर वहां ले जाया जाएगा, इसके लिए सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर भी स्टैंडबाई पर रखा गया है।
परिजनों को बैग तैयार रखने को कहा गया
सरकार की पहली प्राथमिकता मजदूरों की सेहत है। इसलिए सुरंग से बाहर आने के बाद उन्हें 48 से 72 घंटे डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा। सुरंग में फंसे मजदूरों के परिजनों को बैग तैयार रखने को कहा गया है। उन्हें भी घटनास्थल पर बुला लिया गया है।
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मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
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