HSTDV: रक्षा क्षेत्र में भारत की एक और छलांग, हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का सफल परीक्षण, जानें खूबियां

DRDO ने हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल (HSTDV) की उड़ान परीक्षण किया। इसके साथ ही हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने आज ओडिशा के तट से दूर व्हीलर द्वीप में डॉ एपीजे अब्दुल कलाम लॉन्च कॉम्प्लेक्स से 1103 घंटे में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल (HSTDV) की उड़ान परीक्षण के साथ हाइपरसोनिक एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट तकनीक का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है।

हाइपरसोनिक क्रूज वाहन को एक सिद्ध ठोस रॉकेट मोटर का उपयोग करके लॉन्च किया गया था। जो इसे 30 किलोमीटर (किमी) की ऊंचाई तक ले गया। जहां हाइपरसोनिक मैक नंबर पर एयरोडानामिक हीट ढाल अलग हो गए थे। क्रूज वाहन लॉन्च वाहन से अलग हो गया और योजना के अनुसार एयर इंटेक ओपन हो गया। हाइपरसोनिक दहन कायम रहा और क्रूज वाहन ध्वनि की गति के छह गुना यानी करीब 02 किमी/सेकंड के वेग से 20 सेकंड से अधिक समय तक अपने वांछित उड़ान पथ पर चलता रहा। स्क्रैमजेट के ईंधन इंजेक्शन और ऑटो इग्निशन जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं ने तकनीकी परिपक्वता का प्रदर्शन किया। स्क्रैमजेट इंजन ने टेक्स्ट बुक तरीके से प्रदर्शन किया।

स्क्रैमजेट इंजन समेत लॉन्च और क्रूज वाहन के मापदंडों की निगरानी कई ट्रैकिंग राडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सिस्टम और टेलीमेट्री स्टेशनों द्वारा की गई थी। स्क्रैमजेट इंजन उच्च गतिशील दबाव और बहुत अधिक तापमान पर काम करता था। हाइपरसोनिक वाहन के क्रूज चरण के दौरान प्रदर्शन की निगरानी के लिए बंगाल की खाड़ी में एक जहाज भी तैनात किया गया था। सभी प्रदर्शन मापदंडों ने मिशन की शानदार सफलता का संकेत दिया है।

इस सफल प्रदर्शन के साथ कई महत्वपूर्ण टैक्नोलॉजी जैसे कि हाइपरसोनिक युद्धाभ्यास के लिए वायुगतिकीय विन्यास, इग्निशन के लिए स्क्रैमजेट प्रणोदन का उपयोग और हाइपरसोनिक प्रवाह में निरंतर दहन, उच्च तापमान सामग्री का थर्मो-स्ट्रक्चरल लक्षण वर्णन, हाइपरसोनिक वेग पर पृथक्करण तंत्र आदि सिद्ध हुए।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर डीआरडीओ को बधाई दी। उन्होंने परियोजना से जुड़े वैज्ञानिकों से भी बात की और उन्हें इस बड़ी उपलब्धि पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत को उन पर गर्व है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने HSTDV मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और अन्य कर्मियों को राष्ट्र की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में उनके दृढ़ और अटूट प्रयासों के लिए बधाई दी। इस सफल प्रदर्शन पर देश उन्नत हाइपरसोनिक वाहनों के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाले हाइपरसोनिक रिजीम में प्रवेश करता है।

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