JNU में जमकर हुआ बवाल, नक्सल पीड़ितों की गाड़ियों को नहीं मिली कैंपस में एंट्री
जेएनयू के छात्रों ने नक्सल हिंसा पीड़ितों का दर्द सुना और उनकी वास्तविक स्थिति को समझा, जिसके बाद इकट्ठा हुए छात्रों ने नक्सलवाद के खिलाफ नारेबाजी की।
जेएनयू में बस्तर से आए नक्सल पीड़ितों की एंट्री को लेकर जमकर बवाल हुआ। हिंसा से पीड़ितों की गाड़ियों को कैंपस में एंट्री से रोक दिया गया, जिसको लेकर काफी हंगामा हुआ। आधे घंटे तक चले इस हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद बस्तर से आए पीड़ित पैदल ही चलकर कैंपस के अंदर दाखिल हुए, जिसके बाद छात्रों ने उनसे मुलाकात की।
जेएनयू के छात्रों ने नक्सल हिंसा पीड़ितों का दर्द सुना और उनकी वास्तविक स्थिति को समझा, जिसके बाद इकट्ठा हुए छात्रों ने नक्सलवाद के खिलाफ नारेबाजी की। जेएनयू के छात्रों ने कहा कि नक्सलवाद को खत्म करने की वैचारिक लड़ाई जेएनयू से लड़ी जाएगी। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने नक्सलवाद हो बर्बाद, माओवाद हो बर्बाद के नारे लगाए। छात्रों ने कहा, नक्सलवाद की कब्र अब जेएनयू में ही खुदेगगी।
हिंसा पीड़ितों ने सुनाई दास्तां
नस्कली हिंसा पीड़ितों ने टाइम्स नाउ से बात की। उन्होंने कहा, हम 40 साल से भी ज्यादा समय से नक्सलवाद का दंश झेल रहे हैं। नक्सलियों ने हमारे हरेभरे बस्तर पर माओवाद का नस्तर चुभो दिया है। उन्होंने कहा, हम खून के आंसू पी रहे हैं और अब हम देश से गुहार लगा रहे हैं कि बस्तर से नक्सलवाद को खत्म किया जाए और बस्तर में शांति लाई जाए। हम जैसे कई हजारों आदिवासी रोज नक्सलियों का शिकार हो रहे हैं और नक्सली 4 दशक से हमारे साथ अत्याचार कर रहे हैं।
रिपोर्ट - सत्येंद्र शर्मा
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